Lok Sabha Election 2024: वर्ष 2024 में देश में लोकसभा चुनाव का आयोजन होने की संभावना है। इस पूर्वानुमान के पहले, दो बड़े गठबंधन, एनडीए (राष्ट्रीय देमोक्रेटिक गठबंधन) और 'INDIA' के अलावा, एक तीसरे मोर्चे की भी चर्चा हो रही है। कुछ कह रहे हैं कि अभी तक इन दोनों गठबंधनों के साथ नहीं जुड़े हुए दल भी इस तीसरे मोर्चे में शामिल हो सकते हैं।
बसपा (बहुजन समाज पार्टी) की सुप्रीमो मायावती न तो बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए में हैं और न ही विपक्ष के गठबंधन का हिस्सा हैं। इस परिस्थिति में, संदर्भांतर्गत यह कयास लगाया जा रहा है कि मायावती इस नए फॉर्मूले को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए काम कर रही हैं। उन्होंने हाल ही में इस साल के अंत में राजस्थान में होने वाले चुनाव में भी अपनी पार्टी को खड़ा करने का ऐलान किया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, बीएसपी ओवैसी की पार्टी AIMIM को तीसरे मोर्चे में अपने साथ जोड़ सकती है।
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बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के लिए यह एक नई बात नहीं है कि वह राजनीतिक परिवेश में अलग गठबंधन बनाकर सियासी खेल को पलट चुकी है। 38 साल पहले, 1984 में बीएसपी की स्थापना हुई थी, और साल 2007 में उत्तर प्रदेश में भारी बहुमत से सरकार बनाई गई थी। उसके बाद, कई मौके आए जब मायावती की पार्टी किंगमेकर बनी।
उत्तर प्रदेश में राम जन्मभूमि विवाद हुआ था, जिसके बाद बीजेपी को राज्य की सत्ता गंवानी पड़ी थी। उस समय, बीएसपी ने 1993 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था, जिससे बीजेपी को उत्तर प्रदेश से उखाड़ कर रख दिया था। उस विधानसभा चुनाव में बीएसपी को 55 सीटों का फायदा हुआ और बीएसपी 67 सीटों पर जीत कर सामने आई थी।
मायावती ने अपने राजनीतिक जीवन में अनेक बार गठबंधन बनाकर जिले स्तर से लेकर राज्य स्तर तक अपनी चाल में माहिरता दिखाई है, और उनकी इस रणनीति के माध्यम से उन्हें राजनीतिक मैदान में अच्छा समर्थन मिला है। उन्होंने अक्सर अपने दल को किसी न किसी गठबंधन में शामिल करके चुनाव लड़ने का फैसला किया है और इससे उन्हें स्थानीय और राज्य स्तर पर मजबूती हासिल हुई है।
बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने राजनीतिक इतिहास में कई बार गठबंधन बनाए हैं, जिससे उन्हें सियासी मैदान में समर्थन मिला है। 1984 में बनी बीएसपी ने साल 2007 में उत्तर प्रदेश में भारी बहुमत से सरकार बनाई थी। इसके बाद, बीएसपी ने कई मौके पर गठबंधन करके सरकारों में हिस्सा लिया है, जिससे उन्हें राज्य स्तर पर मजबूती मिली है।
उत्तर प्रदेश में हुए 1996 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने कांग्रेस के साथ भी गठबंधन किया था, जिससे उन्हें 66 सीटें मिली और वोट शेयर करीब 28 प्रतिशत तक पहुंचा था। इसके बाद, बीएसपी ने साल 1997 के चुनाव में बीजेपी के साथ सरकार बनाई थी। बीएसपी को लोकसभा चुनाव में भी अलग-अलग विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने का मौका मिला। 2009 में 20 सीटें हासिल की गईं जबकि 2014 में भी पार्टी को 10 सीटें मिलीं। इससे साफ है कि बीएसपी के वोट शेयर बढ़ रहा है और वह दलित वोटरों के साथ मुस्लिम मतदाताओं को भी आकर्षित करने के लिए प्रयासरत है। यह एक अलग समीकरण बनाने के लिए एआईएमआईएम पार्टी के प्रमुख ओवैसी के साथ भी गठबंधन कर सकती है और तीसरे मोर्चे को और मजबूत बना सकती है। इससे हंग पार्लियामेंट में उनका अहम रोल हो सकता है।
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