भोपाल। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने भोजशाला परिसर का सर्वेक्षण करने के लिए आठ और सप्ताह का समय मांगा है। आवेदन में कहा गया है कि स्मारक की बारीकी से जांच करने पर यह देखा गया कि प्रवेश द्वार के बाद बरामदे में भराव संरचना की मूल विशेषताओं को छिपा रहा है और इसे हटाने का काम बहुत सावधानी से किया जाना चाहिए ।
यह एक समय लेने वाली प्रक्रिया है। एएसआई ने सोमवार को उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के समक्ष एक आवेदन दायर में कहा कि विवादित परिसर में संरचनाओं के खुले हिस्सों की प्रकृति को समझने के लिए कुछ और समय की जरूरत है। दरअसल, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देश पर धार जिले में स्थित भोजशाला परिसर में एएसआई एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर रहा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि 11वीं सदी के स्मारक भोजशाला में वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर हैं, जबकि मुस्लिम समुदाय यहां कमल मौला मस्जिद होने का दावा कर रहे है।
पहले 6 हफ्ते का मिला था समय
7 अप्रैल, 2003 को एएसआई द्वारा की गई एक व्यवस्था के अनुसार, हिंदू मंगलवार को भोजशाला परिसर में पूजा करते हैं, जबकि मुस्लिम शुक्रवार को परिसर में नमाज अदा करते हैं। भोजशाला विवाद मामले में सुनवाई के लिए हाईकोर्ट ने पहले ही 29 अप्रैल की अगली तारीख तय कर रखी है। एएसआई का नया आवेदन भी उसी दिन सुनवाई के लिए आने की संभावना है। उच्च न्यायालय ने 11 मार्च को एएसआई को छह सप्ताह के भीतर भोजशाला-कमल मौला मस्जिद परिसर का 'वैज्ञानिक सर्वेक्षण' करने का आदेश दिया था। आवेदन में यह भी बताया गया है कि एएसआई ने राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) से ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) सर्वेक्षण करने का अनुरोध किया है। इसमें कहा गया है कि एनजीआरआई की एक टीम और उनके वैज्ञानिक उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए नियमित रूप से पूरे क्षेत्र का सर्वेक्षण कर रहे थे।