रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रदेश को हर्बल स्टेट के रूप में विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। जिससे छत्तीसगढ़ राज्य अब पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक सोच के समन्वय से हर्बल क्रांति की ओर अग्रसर है। सीएम ने कहा कि, अब किसानों को औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रेरित किया जाएगा, जिससे उन्हें पारंपरिक धान की खेती की तुलना में कई गुना अधिक आय प्राप्त हो सकेगी। यह पहल न केवल किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि प्रदेश की पारंपरिक वैद्य परंपरा, वन औषधियों और जैव विविधता के संरक्षण को भी मजबूती प्रदान करेगी।
सीएम ने साझा किया नई सोच:
मुख्यमंत्री ने पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में एक नई सोच को साझा किया है। दरअसल छग आदिवासी स्थानीय औषधि और स्वास्थ्य परंपरा पादप बोर्ड के अध्यक्ष विकास मरकाम के पदभार ग्रहण समारोह में वह शामिल हुए। जहां उन्होंने कहा कि, पूर्ववर्ती हमारी बीजेपी सरकार ने डॉ रमन सिंह के कार्यकाल में ही छत्तीसगढ़ आदिवासी औषधि पादप और स्थानीय स्वस्थ परंपरा बोर्ड का गठन किया है। इस बोर्ड का उद्देश्य यही है कि जो वनवासी क्षेत्र में हमारे वैद्य हैं, उन्हें आयुर्वेद का बहुत ज्ञान होता है। ऐसे ही वैद्यराज का संवर्धन व संरक्षण करना और जो औषधि पौधे हैं ऐसे औषधि पौधे और सुगंधित पौधे का भी संरक्षण करना है और उसका संवर्धन करना है, उसको आगे बढ़ाना है। उनकी खरीदी बिक्री, सभी कार्यों का दायित्व इस बोर्ड का है। बोर्ड अध्यक्ष के रूप में विकास मरकाम की इस उद्देश्य की पूर्ति करेंगे।
किसानों को होगा फायदा:
बतादें कि विकास मरकाम के नेतृत्व में ऐसे वैद्यों का भी संवर्धन और संरक्षण होगा और जो औषधि पादप के उत्पादन से मिलेगा, इसके लिए बोर्ड की तरफ से फॉरेस्ट विभाग की ओर से कई सब्सिडी और सुविधा भी है और उसकी खरीदी भी विभाग करेगा। बोर्ड आने वाले समय में विभिन्न स्थानों पर विशेष कर बस्तर और सरगुजा संभाग में लोगों के बीच में जाकर जागरूकता सिविल लगाएगा और वहां पर किसानों को जो फायदा होने वाला है इसके ग्रामीण क्षेत्र के ऐसे किसान ऐसी औषधि पादप का उत्पादन कर अधिक फायदा प्राप्त करेंगे और आर्थिक रूप से सक्षम हो पाएंगे। यह काम आगे आने वाले समय में हमारा बोर्ड करेगा। आज छत्तीसगढ़ में इतने वन औषधि पादप हैं छत्तीसगढ़ पूरे देश में हर्बल स्टेट के रूप में जाना जाता है यह हम सभी लोगों के लिए सौभाग्य की बात है।
वन उपज के मामले में है समृद्ध राज्य :
वहीं इस सन्दर्भ में वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि, लोगों के लिए जो योजनाएं मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बनाई है उनका क्रियान्वयन हो रहा है। आज देश में तेंदूपत्ता संग्रह की बात करें तो छत्तीसगढ़ सबसे ज्यादा तेंदूपत्ता का संग्रहण करने वाला राज्य है और उसके लिए प्रदेश सरकार साढ़े ₹ 5500 प्रति मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्राहक को दे रही है। पूरे देश में लघु वन उपज को 67 प्रकार के संगृहीत किया जा रहा है, इस बात को यह कहीं न कहीं साबित करता है कि, वन उपज के मामले में छत्तीसगढ़ राज्य समृद्ध है। इस परंपरा को हमें आगे बढ़ते हुए आने वाले समय में छत्तीसगढ़ वन औषधि के क्षेत्र में देश का सर्वोच्च राज्य के रूप में स्थापित हो इसकी दृष्टि से कार्य करना है। मुख्यमंत्री साय की यह कल्पना है। यहां पर अनेक प्रकार के वन उपज हैं कई वन औषधि हमारे जीवन की अभिन्न अंग है लेकिन जैसे-जैसे हम ज्यादा आधुनिकता की ओर बढ़ रहे हैं वहां पर इन चीजों को भूलने लगते हैं। हमारे पूर्वजों की इन सब संपत्तियों का संसाधनों का संरक्षण करना है, इसका संवर्धन करें। निश्चित तौर पर हमारी जो जीवन पद्धति है वह उसमें बहुत बदलाव आएगा। अब गांव में भी विभिन्न प्रकार की बीमारियां हो रही है। खान-पान और रहन-सहन कहीं ना कहीं लोगों के परिवर्तन होने के कारण जीवन पद्धति हुई है। इन चीजों को हम ज्यादा से ज्यादा व्यवस्थित करके का प्रयास करें।