रायपुर: राजधानी रायपुर में अब सूखा कचरा बेकार नहीं जाएगा। सूखा कचरा से बायोगैस बनाई जाएगी। इसके लिए शुक्रवार को नगर निगम रायपुर, छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल विकास प्राधिकरण (सीबीडीए) और भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के बीच त्रिपक्षीय अनुबंध हुआ। इस अनुबंध के तहत 100 करोड़ रुपए की लागत से रावांभाठा क्षेत्र में कम्प्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) प्लांट स्थापित किया जाएगा। छत्तीसगढ़ सरकार इस उद्देश्य के लिए भूमि रियायती मूल्य पर उपलब्ध कराएगी।
हर दिन बायोगैस बनाने के लिए 150 मीट्रिक टन कचरे का उपयोग किया जाएगा:
गौरव कुमार सिंह कलेक्टर , मुख्य कार्यपालन अधिकारी सीबीडीए सुमित सरकार, अनिल कुमार पी. हेड बायोफ्यूल्स बीपीसीएल मुम्बई , नगर निगम आयुक्त विश्वदीप की उपस्थिति में निगम, सीबीडीए और बीपीसीएल के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इसके तहत निगम एवं आसपास के निगमों से लगभग 150 मीट्रिक टन प्रतिदिन ठोस अपशिष्ट का उपयोग जैव ईंधन उत्पादन में किया जाएगा।
जैविक खेती को प्रोत्साहन मिलेगा:
यह प्लांट सह-उत्पाद के रूप में जो जैविक खाद प्रदान करेगा, उससे जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, इससे ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में भी गिरावट आएगी, जिससे पर्यावरण अधिक स्वच्छ और संतुलित बनेगा।अनुबंध पर हस्ताक्षर के मौके पर निगम के अपर आयुक्त राजेन्द्र कुमार गुप्ता, सीबीडीए के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुमित सरकार तथा बीपीसीएल मुंबई के हेड बायोफ्यूल्स अनिल कुमार पी की उपस्थिति रहे।
लोगों को रोजगार के साथ एक करोड़ का जीएसटी मिलेगा:
बायोगैस प्लांट के स्थापित होने से जहां प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 30 हजार मानव दिवस प्रतिवर्ष रोजगार सृजित होंगे, साथ ही लोगों को रोजगार भी मिलेगा। इस प्लांट में पूर्ण क्षमता के उत्पादन और विक्रय होने पर प्रतिवर्ष लगभग 1 करोड़ रुपए का जीएसटी भी प्रशासन को प्राप्त होगा।