Mock Drill : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम इलाके में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चिंता बढ़ा दी है। इस हमले के बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को हाई अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही गृह मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 7 मई को देशभर में मॉक ड्रिल आयोजित करने का आदेश दिया है।
क्या होती है मॉक ड्रिल?
आपको बता दें कि आपातकालीन स्थितियों में समय पर और सही प्रतिक्रिया देना जीवन रक्षक हो सकता है। इन्हीं परिस्थितियों से निपटने की तैयारी के लिए "मॉक ड्रिल" का आयोजन किया जाता है। मॉक ड्रिल एक पूर्व नियोजित, अभ्यासात्मक प्रक्रिया होती है, जिसके ज़रिए आपदा या संकट की घड़ी में संस्थान, संगठन या आम लोगों की तैयारियों का परीक्षण किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य होता है यह जांचना कि किसी आपात स्थिति में किस प्रकार से और कितनी तेजी से प्रतिक्रिया दी जाती है।
मॉक ड्रिल को हिंदी में 'आभासी अभ्यास' या 'पूर्वाभ्यास' कहा जा सकता है। यह कई प्रकार की हो सकती हैं। जैसे आग लगने की स्थिति में अग्निशमन अभ्यास, भूकंप की स्थिति में भवन खाली कराने का अभ्यास, बाढ़, महामारी या आतंकी हमले जैसी गंभीर स्थितियों में सुरक्षा और बचाव कार्य का आकलन करने के लिए मॉक ड्रिल की जाती है।
कैसे होती है मॉक ड्रिल?
मॉक ड्रिल के आयोजन से पहले एक संपूर्ण योजना बनाई जाती है। इसमें यह तय किया जाता है कि कौन-सी आपदा की स्थिति को ध्यान में रखकर अभ्यास किया जाएगा, कौन-कौन इसमें भाग लेंगे, किन संसाधनों की आवश्यकता होगी और क्या लक्ष्य है। निर्धारित दिन और समय पर मॉक ड्रिल शुरू की जाती है। प्रतिभागियों को बिना पूर्व सूचना के अभ्यास में शामिल किया जाता है ताकि उनकी वास्तविक प्रतिक्रिया का मूल्यांकन किया जा सके। उदाहरण के लिए, यदि मॉक ड्रिल आग लगने की स्थिति पर आधारित है, तो जैसे ही अलार्म बजता है, सभी कर्मचारियों को तत्काल निकासी मार्ग से बाहर निकलने के निर्देश दिए जाते हैं। फायर ब्रिगेड और मेडिकल टीम भी भाग लेती हैं, और देखा जाता है कि कितनी देर में इमरजेंसी रिस्पॉन्स शुरू होती है और सभी लोग सुरक्षित स्थान पर पहुंचते हैं या नहीं।
मॉक ड्रिल से क्या लाभ?
मॉक ड्रिल के माध्यम से लोगों में आपदा के प्रति सजगता आती है और वे समझते हैं कि किसी संकट की स्थिति में क्या करना है। मॉक ड्रिल से यह पता चलता है कि सिस्टम में कौन-कौन सी खामियां हैं जिन्हें सुधारना आवश्यक है। विभिन्न विभागों जैसे फायर ब्रिगेड, पुलिस, मेडिकल टीम आदि के बीच तालमेल बेहतर होता है। आम जनता को भी यह अभ्यास देखने से सीख मिलती है कि आपदा की स्थिति में क्या करना चाहिए।
कहां-कहां होती हैं मॉक ड्रिल?
मॉक ड्रिल स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों, मॉल, फैक्ट्रियों, सरकारी दफ्तरों, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन जैसी जगहों पर की जाती है। हाल ही में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) भी इस तरह की ड्रिल को प्रोत्साहित कर रहे हैं।