Maria Corina Machado: वेनेजुएला की प्रमुख विपक्षी नेता मारिया कोरीना मचाडो, जिन्हें इस वर्ष नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चुना गया है, अब अपने ही देश की सरकार के निशाने पर आ गई हैं। मचाडो 10 दिसंबर को नॉर्वे के ओस्लो में होने वाले सम्मान समारोह में हिस्सा लेना चाहती थीं, लेकिन मादुरो सरकार ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि विदेश जाने पर उन्हें ‘फरार’ घोषित कर दिया जाएगा।
सरकार के लिए अपराधी:
58 वर्षीय मचाडो लंबे समय से वेनेजुएला में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं। इस वजह से उन पर सरकारी दमन लगातार बढ़ता जा रहा है। उन्होंने बताया है कि सुरक्षा खतरों के कारण वे देश के भीतर ही छिपकर जीवन बिता रही हैं। मचाडो ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि वह नोबेल सम्मान स्वयं ग्रहण करने के लिए नॉर्वे जाएंगी, लेकिन उनकी यह योजना अब खतरे में है।
अटॉर्नी जनरल की चेतावनी:
वेनेजुएला के अटॉर्नी जनरल तारेक विलियम साब ने कहा है कि, मचाडो के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं, यदि उन्होंने देश की सीमा छोड़ी, तो उन्हें फरार (फ्यूजिटिव) घोषित किया जाएगा। आरोपों में साजिश रचना, नफरत फैलाना और आतंकवाद से जुड़े प्रावधान शामिल हैं, सरकार का दावा है कि मचाडो अमेरिकी नीतियों का समर्थन करती हैं, जो वेनेजुएला की सुरक्षा के लिए खतरा है।
मादुरो सरकार के निशाने पर मचाडो:
रिपोर्टों के अनुसार मचाडो ने कैरेबियाई क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति का समर्थन किया था। यह वही क्षेत्र है जहां पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने युद्धपोत और एयरक्राफ्ट कैरियर तैनात किए थे। अमेरिका इसे एंटी-ड्रग अभियान बता रहा है, जबकि मादुरो इसे अपनी सरकार के खिलाफ सैन्य दबाव बताकर विरोध कर रहे हैं।
अमेरिका वेनेजुएला तनाव और मादुरो की प्रतिक्रिया:
वेनेजुएला पर 2015 से अमेरिकी प्रतिबंध लागू हैं। ट्रंप प्रशासन ने मादुरो सरकार को ड्रग कार्टेल से जोड़कर कई सैन्य कार्रवाइयाँ की हैं, जिनमें कथित ड्रग बोट्स पर हमले भी शामिल हैं। वेनेजुएला ने इन हमलों को ग़ैर-कानूनी हत्याएं बताया है। इस राजनीतिक और सैन्य तनाव के बीच मचाडो की अंतरराष्ट्रीय छवि मजबूत हुई है, लेकिन देश की सरकार उन्हें एक खतरे के रूप में देख रही है।
क्या मचाडो जाएंगी ओस्लो:
सरकारी धमकी के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या मारिया कोरीना मचाडो नोबेल पुरस्कार लेने के लिए नॉर्वे जा पाएंगी? उनका बयान बताता है कि वे सम्मान लेने की इच्छुक हैं, लेकिन सुरक्षा, कानूनी कार्रवाई और गिरफ्तारी का भय इस फैसले को बेहद मुश्किल बना रहा है।