Dalai Lama 90th birthday: हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में आज तिब्बती धर्मगुरु 14वें दलाई लामा के जन्मदिन पर भव्य कार्यक्रम क आयोजन किया गया. जहां पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजूजू शामिल हुए, इसके अलावा सैकड़ों लोग इस कार्यक्रम का हिस्सा बने। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट कर दलाई लामा को बधाई और शुभकामनाएं दी। और लिखा कि वे प्रेम, करुणा, धैर्य और नैतिक अनुशासन का प्रतीक हैं। इसके साथ ही 1.4 अरब भारतीयों की ओर से PM मोदी ने उनके दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना की है। और कहा कि, सभी धर्मों में दलाई लामा का संदेश प्रशंसा और सम्मान को प्रेरित करता है। हम उनके निरंतर अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए प्रार्थना करते हैं।
दलाई लामा का परिचय:
14वें दलाई लामा का असली नाम तेनजिन ग्यात्सो है। उनका जन्म 6 जुलाई 1935 को तिब्बत के छोटे गांव तक्स्टर में हुआ था। महज 2 वर्ष की उम्र में उन्हें 13वें दलाई लामा का पुनर्जन्म घोषित किया गया। बाद में 1940 में आधिकारिक रूप से तिब्बत का आध्यात्मिक नेता बनाया गया। दलाई लामा मंगोलियन शब्द है, जिसका अर्थ होता है "ज्ञान का सागर"। वे बोधिसत्व अवलोकितेश्वर के अवतार माने जाते हैं, जो सेवा के लिए पुनर्जन्म लेते हैं।
दलाई लामा ने दिए संदेश:
दुनिया भर में अपने अनुयायियों को दलाई लामा ने अपने जन्मदिन पर एक भावुक संदेश दिया है। जिसमें उन्होंने खुद को एक 'साधारण बौद्ध भिक्षु' बनाया है, और कहा कि आंतरिक शांति, सद्भाव, और करुणा के महत्व पर दें। अपने सैकड़ों अनुयायियों की मौजूदगी में हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में आयोजित एक समारोह में दलाई लामा ने कहा कि व्यक्तिगत रूप से भले ही वह जन्मदिन नहीं मनाते हैं, लेकिन दूसरों के कल्याण के लिए अगर ऐसे अवसरों पर काम किया जाए तो वह इसे जरुर महत्व देंगे।
शिमला में विशेष प्रार्थना, धर्मशाला में समारोह:
दलाई लामा के जन्मदिन पर हिमाचल प्रदेश के पंथाघाटी स्थित दोरजीदक मठ में विशेष प्रार्थना हुई। वहीं, धर्मशाला में आयोजित कार्यक्रम में भाजपा नेता विजय जॉली और जेडीयू नेता ललन सिंह समेत अन्य लोग शामिल हुए। ये आयोजन दलाई लामा के आध्यात्मिक योगदान और भारत-तिब्बत संबंधों की मजबूती का प्रतीक बने।
उत्तराधिकारी की अफवाहों ने फिर जोर पकड़ा:
दलाई लामा ने जन्मदिन से पहले एक कार्यक्रम में कहा कि, अगले 130 साल तक मैं जीवित रहूंगा।” उन्होंने आगे कहा कि वे अवलोकितेश्वर के आशीर्वाद से वे लोगों की 30-40 साल और सेवा करना चाहते हैं। लेकिन इस बीच उनके उत्तराधिकारी को लेकर अफवाहों ने फिर जोर पकड़ा है। लेकिन सेंट्रल तिब्बतन एडमिनिस्ट्रेशन (CTA) के अध्यक्ष पेनपा त्सेरिंग ने इन अफवाहों को सिरे से खारिज कर दिया।
ऐसे होगा उत्तराधिकारी का चयन:
दलाई लामा ने स्पष्ट किया है कि उनके उत्तराधिकारी का चयन पारंपरिक तिब्बती बौद्ध मान्यताओं के आधार पर होगा। किसी भी देश को इस प्रक्रिया में दखल का अधिकार बिल्कुल भी नहीं है। उन्होंने कहा कि, ‘गादेन फोडंग ट्रस्ट’ को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसकी स्थापना उन्होंने साल 2015 में किया था।दलाई लामा का यह बयान चीन द्वारा संभावित हस्तक्षेप की आशंका को लेकर बेहद अहम है, क्योंकि चीन यह दावा करता रहा है कि दलाई लामा का चयन बीजिंग की अनुमति से होना चाहिए।
चीन को किरेन रिजिजू के बयान पर हुई आपत्ति:
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने दलाई लामा के बयान का समर्थन करते हुए कहा था कि उन्हें उत्तराधिकारी चुनने का पूरा अधिकार है। जिस पर चीन ने आपत्ति जताई थी। चीन ने कहा, भारत को तिब्बत के मामलों पर “सावधानी” बरतनी चाहिए। इस पर विदेश मंत्रालय ने जवाब दिया कि भारत सरकार आस्था और धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करती और आगे भी ऐसा ही रहेगा।
कैसे चुने जाते हैं अगले दलाई लामा:
दलाई लामा को चुना नहीं जाता, बल्कि उन्हें ढूंढ़ा जाता है। बौद्ध मठों और धार्मिक गुरु इस प्रक्रिया में भाग लेते हैं। इसमें पुनर्जन्म के संकेत, धार्मिक सपने और झील ल्हामो ला-त्सो के दर्शन जैसी मान्यताएं शामिल होती हैं। संभावित बालक को जब ढूंढ़ लिया जाता है तो उससे पिछले दलाई लामा की वस्तुओं की पहचान करवाई जाती है। यदि सही वस्तुएं चुनता है तो उसे आधिकारिक रूप से अगला दलाई लामा घोषित किया जाता है।