52 Shaktipeeths 37 Srisailam Shaktipeeth: आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में कृष्णा नदी के तट पर स्थित श्रीशैलम भारत के सबसे प्राचीन और शक्तिशाली धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। नल्लामाला पहाड़ियों की शांत वनों में बसा यह स्थल शक्ति और शिव के अद्भुत मिलन का केंद्र है, जहाँ भक्त दोनों देवताओं के दिव्य स्वरूपों का दर्शन कर सकते हैं।
शक्तिपीठ: जहाँ गिरी थी सती की गर्दन:
पौराणिक मान्यता है कि जब भगवान विष्णु ने सती के शरीर का भार कम करने के लिए सुदर्शन चक्र का प्रयोग किया, तब उनकी गर्दन श्रीशैलम में गिरी, जिसके कारण यह स्थान श्रीशैलम और भ्रामराम्बा शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध हुआ। यह स्थल 52 शक्तिपीठों में एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है और देवी यहाँ भ्रामराम्बा रूप में विराजमान हैं।
ज्योतिर्लिंग: मल्लिकार्जुन का पवित्र धाम:
श्रीशैलम का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यहाँ भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भी यहीं पर स्थित है। यहाँ शिव पार्वती संग अर्धनारीश्वर स्वरूप की अनुभूति होती है, जो भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा और शांति का अनुभव कराती है।
क्यों कहा जाता है ‘दक्षिण का कैलाश’:
श्रीशैलम को ‘दक्षिण का कैलाश’ नाम इसलिए मिला है क्योंकि यह स्थान दिव्य और शक्तिशाली ऊर्जा से परिपूर्ण माना जाता है। यहाँ शिव और शक्ति दोनों एक साथ पूजे जाते हैं। नल्लामाला पर्वतों की प्राकृतिक शांति इसे विशेष आध्यात्मिक वातावरण प्रदान करती है। नल्लामाला पहाड़ियों का वन्य सौंदर्य दर्शन के अलावा श्रीशैलम क्षेत्र नल्लामाला वन्यजीव अभयारण्य, श्रीशैलम बांध, गहरी घाटियाँ और सुरम्य दृश्य के लिए भी प्रसिद्ध है। यह पर्यटन और प्रकृति प्रेमियों के लिए भी एक उत्कृष्ट स्थल है।
शक्तिपीठ सर्किट में शामिल होगा श्रीशैलम:
आंध्र प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा बनाए जा रहे शक्तिपीठ सर्किट में श्रीशैलम को विशेष स्थान दिया गया है। इस सर्किट के माध्यम से क्षेत्र के प्रमुख धार्मिक स्थलों को जोड़कर यात्रियों को बेहतर सुविधाओं के साथ एक दिव्य यात्रा अनुभव देने की योजना बनाई जा रही है। परंपरा, आस्था और प्रकृति का अद्भुत संगम श्रीशैलम न केवल एक धार्मिक धाम है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत का अनमोल हिस्सा भी है। यहाँ हर वर्ष लाखों श्रद्धालु शिव और शक्ति की कृपा पाने के लिए पहुँचते हैं।