नई दिल्ली। मोदी सरकार ने जाति जनगणना कराने को लेकर बड़ा फैसला लिया है।केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जाति जनगणना को आधिकारिक रूप से मूल जनगणना का हिस्सा बनाने का फैसला किया है। यह निर्णय बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लिया गया। बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि यह जातीय गणना आगामी जनगणना प्रक्रिया के तहत ही की जाएगी।
उन्होंने बताया कि जनगणना की प्रक्रिया सितंबर 2025 से शुरू की जा सकती है और इसे पूरा होने में लगभग दो साल का समय लग सकता है। इस आधार पर अनुमान है कि अंतिम आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में सामने आ सकेंगे।
गौरतलब है कि 2021 में प्रस्तावित जनगणना को कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था। आमतौर पर हर 10 साल में जनगणना होती है, लेकिन इस बार इसमें देरी हुई है। इस देरी के चलते जनगणना चक्र भी बदल गया है और अब अगली जनगणना 2035 में होगी।
1947 से आज तक जाति जनगणना नहीं की गई:
इस फैसले के साथ ही मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "1947 से आज तक जाति जनगणना नहीं की गई। कांग्रेस की सरकारों ने हमेशा इसका विरोध किया है। 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने इस पर विचार के लिए कैबिनेट को भेजा था, लेकिन निर्णय नहीं लिया गया।"
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ राज्य सरकारों ने अपने-अपने स्तर पर जातिगत सर्वेक्षण किए हैं, लेकिन वे सर्वेक्षण गैर-पारदर्शी और राजनीतिक दृष्टिकोण से प्रेरित रहे हैं, जिससे समाज में भ्रम और संदेह की स्थिति पैदा हुई। इसलिए केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया है कि जातिगत आंकड़ों को अब राष्ट्रीय जनगणना में ही वैज्ञानिक तरीके से शामिल किया जाएगा, ताकि सामाजिक संरचना के साथ किसी भी तरह की राजनीतिक छेड़छाड़ से बचा जा सके।