Padma Awards 2025: केंन्द्र सरकार में मध्यप्रदेश की 5 विभूतियों को देश के सर्वोच्य सम्मान पद्मश्री से सम्मानित करने का फैसला किया है। प्रदेश के मुखिया मोहन यादव ने सभी गौरवों को बधाई दी है। सीएम मोहन यादव ने कहा है कि भेरूसिंह चौहान, बीके जैन, हरचंदन सिंह भट्टी, जगदीश जोशिला और सैली होल्कर ने प्रदेश के नाम को गौरवान्वित किया है। मैं सभी विभूतियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।
हरचंदन सिंह भोपाल
भोपाल के रहने वाले हरचंदन सिंह भट्टी को कला के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। हरचंदन सिह भारत भवन के रूपांकर विभाग के निदेशक और भोपाल के आर्ट डिजाइनर है। उन्होंने भारत भवन के अलावा जनजातीय संग्रहालय को भी डिजाइन किया है। हरचंदन सिंह ने कहा है कि वे बचपन से ही चित्रकार बनने की चाहत रखते थे। हालांकि मैं चित्रकार तो नहीं बन सका, लेकिन डिज़ाइनर जरूर बन गया।
भैरू सिंह चौहान
भैरू सिंह चौहान को लोक गायन शैली में पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित किया गया है। भैरू सिंह मालवी लोक शैली में भजन गायन करते है। वे मंडलियों में भगन गया करते थे। उन्होंने कई संतों की वाणियों को गाया है। भैरू सिंह के पिता भी लोक गायक थे।
महेश्वर की शालिनी सैली
महेश्वर की की रहने वाली शालिनी होलकर को रेशम और सूती महेश्वरी साड़ियां की कला में पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। शालिनी ने कई बुनकर परिवारों को बसाया है। उनकी साड़ी देश-विदेश तक जाती है। शालिनी ने 1978 में साड़ी व सूती कपड़ों के उत्पादन के लिए रेवा सोसायटी स्थापित की थी। इसके बाद शलिनी ने 2003 में वूमनवीव चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना, 2009 में गुड़ी मुडी परियोजना की शुरूआत की थी।
निमाड़ के जगदीश जोशीला
जगदीश जोशीला जोकि निमाड़ के रहने वाले है, वे प्रसिद्ध उपन्यासकार है। वे पांच दशक से हिंदी साहित्य व लोकभाषा निमाड़ी में सृजन कर रहे हैं। उनकी 60 से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। जगदीश जोशीला की देवीश्री अहिल्याबाई, जननायक टंट्या मामा, संत सिंगाजी, राणा बख्तावर सिंह, आदि शंकराचार्य जैसे कई उपन्यास प्रसिद्ध है।
सतना के डॉ. बीके जैन
सतना के रहने वाले डॉ. बीके कुमार जैन को चिकित्सा के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। बीके जैन चित्रकूट के सदगुरु नेत्र चिकित्सालय के निदेशक हैं। जैन सतना शहर के मूल निवासी हैं। बीके जैन को सतना कलेक्टर अनुराग वर्मा ने बधाई दी है। बता दें कि सतना जिले में ये दूसरा पद्मश्री पुरस्कार है। इससे पहले बाबूलाल दाहिया को जैव विविधता एवं अनाज के देसी बीजों के संरक्षण संवर्धन के लिए 2019 में पद्मश्री दिया गया था।