भोपाल। सब कुछ ठीक ठाक रहा तो मध्यप्रदेश टाइगर स्टेट दर्जा इस बार भी बरकारार रहने वाला है। कारण यह क्यों कि देश भर में सर्वाधिक बाघ मध्यप्रदेश में हैं। 2022 की गणना में 785 बाघ थे जो अब अनुमान के लिए मुताबिक बढ़कर 800 से भी ज्यादा हो गए हैं। विगत वर्ष टाइगर डे 29 जुलाई 2023 को एनटीसीए ने बाघों की गणना के राज्यवार जो आंकड़े जारी किए थे, इसमें मप्र को लगातार दूसरी बार टाइगर स्टेट का खिताब मिला था, जो मध्सप्रदेश के लिए गौरवपूर्ण रहा।
वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार भी टाइगर स्टेट का दर्जा बरकरार रहेगा। साल 2022 की गणना में बांधवगढ़ नेशनल पार्क में सबसे ज्यादा 165 टाइगर थे। दूसरे नंबर पर कान्हा नेशनल पार्क में 129 टाइगर हैं। जनगणना में पेंच में 123,पन्ना में 64,सतपुड़ा में 62 और संजय गांधी नेशनल पार्क दुबरी में 20 टाइगर पाए गए। इसी तरह साल 2023 में मध्य प्रदेश के कान्हा नेशनल पार्क और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को मैनेजमेंट इफेक्टिवनेस इवैल्यूशन में देश के टॉप 5 टाइगर रिजर्व में जगह मिली। टाइगर स्टेट का दर्जा रखने वाले मध्य प्रदेश में इस कुल 7 टाइगर रिजर्व हैं। टाइगर रिजर्व में कान्हा, बांधवगढ़, सतपुड़ा, पेंच, पन्ना, संजय-डुबरी और नौरादेही का रानी दुर्गावती शामिल हैं।
संरक्षण, संवर्धन और सुरक्षा का परिणाम
मध्यप्रदेश में चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन रहे पूर्व पीसीसीएफ अतुल श्रीवास्तव का कहना है कि मध्यप्रदेश में टाइगर स्टेट का दर्जा बरकार रहेगा इसमें कोई संदेह नहीं है। देश के बाकी राज्य हमसे पीछे है। सरंक्षण संवर्धन और सुरक्षा का बेहतर परिणाम है। बाघों के लिए आवास क्षेत्र यानि हैबिटेट का अनुकूल होना बहुत जरूरी र्है। इसलिए लगातार हमारे यहां बाघों का कुनबा बढ़ रहा है।
चार साल में बढ़े 259 बाघ
2006 में बाघ संरक्षण प्रयासों को गति दी गई थी। इसके बाद से लगातार बाघों की संख्या बढ़ ही रही है। 2006 में 300 बाघों के साथ मध्य प्रदेश सबसे अधिक बाघों वाला राज्य था। इसके बाद 2010 में यह घटकर 257 हो गए और तब मध्य प्रदेश का टाइगर स्टेट का दर्जा कर्नाटक ने छीन लिया था। 2014 में मध्य प्रदेश में 308 बाघ थे और 2018 में बढ़कर 526 बाघ हो गए। 2018 में मध्य प्रदेश ने सिर्फ दो बाघ अधिक होने की वजह से कर्नाटक से एक बार फिर टाइगर स्टेट का दर्जा छीन लिया था। इसके बाद मध्य प्रदेश लगातार बाघों की संख्या में अव्वल है। चार साल में प्रदेश में 259 बाघ बढ़े, जबकि कर्नाटक में सिर्फ 39 बाघों का इजाफा हुआ। अब मध्य प्रदेश और कर्नाटक का अंतर 2018 के दो बाघ से बढ़कर 2022 में 222 का हो गया। पिछली दूसरे स्थान पर कर्नाटक रहा जहां 563 बाघ हैं। उत्तराखंड में 560 और महाराष्ट्र में 444 बाघ मिले।