रिपोर्टर- राजा शर्मा
डोंगरगढ़। राजनांदगांव जिले के धर्म नगरी डोंगरगढ़ के पहाड़ों में विराजमान मां बम्लेश्वरी माता का अगर इतिहास के बारे में इतिहास कारो वा मन्दिर के पुजारियों का कहना हैं की 2200वर्ष पुराना हैं मन्दिर का इतिहास।
माता का इतिहास :-
डोंगरगढ़ शहर पहले कामावती नगरी के नाम से जाना जाता राजा कामसेन अपने तपोबल से मां बगलामुखी को प्रसन्न कर पहाड़ों में विराज मान होने की विनती की और मां बगलामुखी मां बम्लेश्वरी के स्वरूप में भक्तों के कल्याण हेतु पहाड़ों पर विराज मान हो गई । अत्यधिक जंगल एवम् दुर्गम रास्ता होने के कारण भक्तों को दर्शन लाभ प्राप्त ना होते देख राजा कामसेन दुखी हो पुनः मां से विनती करते हुए पहाड़ों के नीचे विराजमान होने के लिए आग्रह किया। मां बम्लेश्वरी राजा कामसेन की भक्ति और प्रजा के प्रति चिन्ता को देख प्रसन्न हो पहाड़ों से नीचे छोटी मां बम्लेश्वरी एवम् मंझली मां रणचंडी के स्वरूप में जागृत अवस्था में विराजमान हुई।
भक्तों का करतीं हैं कल्याण:
लोगों का ऐसा मानना हैं की जो भक्त उपर पहाड़ों में स्थित मां बम्लेश्वरी माता के दर्शन नही कर पाते वह भक्त छोटी मां बम्लेश्वरी वा मंझली मां रणचंडी माता के दर्शन कर लाभ प्राप्त करते हैं। पहाड़ों में विराजमान मां बड़ी बम्लेश्वरी अपने दो बहनों के साथ कामावती नगरी जिसे आज डोंगरगढ़ के नाम से जाना जाता है । आज भी जागृत अवस्था में सभी भक्तों के कल्याण करते आ रही हैं। जिसका प्रमाण मां के दरबार में दिन बा दिन भक्तों की भीड़ से पता चलता है। वही दूसरी ओर कुछ इतिहासकारों का यह भी कहना है की मां बम्लेश्वरी का इतिहास उज्जैन से भी जुड़ा हुआ हैं । राजा विक्रमादित्य भी यहां पहले शासक रह चुके हैं राजा विक्रमादित्य भी मां बगलामुखी के बड़े उपासक रहे हैं।
मां बम्लेश्वरी की महत्ता :-
मां के दरबार में सच्चे मन से जो भी मांगा है उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हुई हैं। यही कारण हैं की देश विदेश से भी लोग डोंगरगढ़ मां बम्लेश्वरी देवी के दर्शन को आते हैं। लोगो का कहना हैं की जिन्हे बच्चें नही होते या जिनके जीवन में कोई भी परेशानी आती हैं तो लोग पूरे सच्चे मन से माता के दरबार में मन्नते मांगते हैं वो पूरी होती हैं । अलग अलग लोग अलग अलग आस्था हैं कुछ लोग मन्नते पूरी होने पर अपने निवास स्थान से पैदल चल कर मां के दर्शन को आते हैं तो कई लोग घुटनों के बल से ऊपर पहाड़ों में विराजमान मां के दर्शन हेतु जाते हैं । तो कई लोग जस गीत गाते बाजे गाजे के साथ आते हैं लोगों का मानना हैं की सच्चे मन से मां से मांगो तो सारी इच्छाएं पूरी होती है। कुछ लोग अपनी मनोकामना पूरी होने पर ज्योति कलश की स्थापना भी करवाते हैं।धर्म नगरी डोंगरगढ़ में प्रत्येक वर्ष चैत्र और क्वार नवरात्र का पर्व मनाया जाता हैं । दोनों नवरात्र में मां के दरबार में ज्योति कलश प्रज्वलित किया जाता है।
मंदिर परिसर में सुविधा की सारी व्यवस्था:
पूरे नवरात्रि पर्व पर मां बम्लेश्वरी ट्रस्ट समिति के द्वारा दर्शनर्थियों को माता के दर्शन एवम् प्रज्वलित ज्योति कलश के दर्शन करने सुरक्षित उड़नखटोला की व्यवस्था , दर्शनार्थियों के लिए एयर कंडीशन युक्त वेटिंग हॉल की व्यवस्था एवम् सीढ़ियों से दर्शन करने वाले दर्शनार्थियों के लिए जगह जगह पर ठंडे पानी एवम् आराम करने के लिए व्यवस्था की गई है। पूरे मन्दिर परिसर में ऊपर पहाड़ से लेकर नीचे तक सुरक्षा की दृष्टि से सी सी टी वी कैमरा लगा रखे हैं। नवरात्र के दौरान दर्शनर्थियो की मदद करने ट्रस्ट मंडल जगह जगह पर अपने कर्मचारी तैनात रखते हैं। जिससे किसी भी श्रद्धालुओं को दर्शन करने में कोई तकलीफ़ ना हो माता के दर्शन में आए दर्शनर्थियो के स्वास्थ की सुरक्षा में दवाईयां इत्यादि उपलब्ध कराते हैं। नवरात्री पर्व पर डोंगरगढ़ में प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं के मनोरंजन खान पान के लिए मेला का भी आयोजन किया जाता हैं । जिसमें बच्चों के मनोरंजन के लिए झूला, कपड़े, खाने पीने की सामग्री , मिनाबाजार इत्यादि होता हैं।
प्रशासनिक तन्त्र 24 घण्टे रहते हैं सेवा देने तैयार:
इस नवरात्र पर्व में आदर्श आचार संहिता का पालन करते हुए सभी प्रशासनिक तंत्र द्वारा कराएंगे मेला का आयोजन प्रशासन की रहती हैं अहम भूमिका कलेक्टर के साथ आला विभागीय अधिकारियों द्वारा दर्शनर्थियों को सभी प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराने रूपरेखा तैयार कर विभागीय स्टॉल के माध्यम से सुविधा उपलब्ध कराते हैं। पुलिस प्रशासन भी पीछे नहीं भीड़ को नियंत्रित करना क्राइम ना हो दर्शनर्थियो के मदद के लिए 24 घण्टे उपलब्ध रहते हैं। जिससे मेला शान्ति पूर्वक मनाया जाता हैं।
इस नवरात्र अर्पित किया जाएगा सोने का मुकुट:
मां बमलेश्वरी ट्रस्ट समिति के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल ने मीडिया को बताया कि श्रद्धालुओं द्वारा इस वर्ष नवरात्रि पर्व में 8 500 ज्योति कलश ऊपर पहाड़ों में विराजमान मां बमलेश्वरी के दरबार में एवं 900 ज्योति कलश नीचे मां बमलेश्वरी माता के दरबार में 61 ज्योति कलश शीतला माता के दरबार में प्रज्वलित हुई है। जिनमें से 10 से 11 ज्योति कलश विदेश जैसे ऑस्ट्रेलिया यू एस ए से प्रज्वलित की गई है छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव , बृजमोहन अग्रवाल विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह , अधिकारीयो ने भी मां के दरबार में की हैं ज्योति कलश प्रज्वलित कराए हैं अपनी एवम् प्रदेश की मंगलकामना के लिए। इस नवरात्र एकम को मां बमलेश्वरी को मां बमलेश्वरी ट्रस्ट समिति द्वारा सोने का मुकुट चढ़ाया जा रहा है जिसकी लागत मूल्य अभी उपलब्ध ना होने के कारण बता नही सकते।
गर्मी को देखते हुए सारी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध:
भीषण गर्मी को देखते हुए श्रद्धालुओं को तकलीफ ना हो इसके लिए ट्रस्ट मंडल ने 24 - 24 फीट के दो पंखे लगा रखे हैं। रास्तों में ठंडा पानी की व्यवस्था श्रद्धालुओं की बैठने की व्यवस्था स्वास्थ्य की दृष्टि से दवाइयां उपलब्ध करवाना उत्तम भोजन के लिए कैंटीन की व्यवस्था रोपवे मे भीड़ की दृष्टि से एयर कंडीशनर वेटिंग हॉल की व्यवस्था ट्रस्ट द्वारा की गई है। मीडिया के माध्यम से ट्रस्ट समिति के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल ने ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालुओं को आमंत्रित करते हुए कहा कि आप सभी माता रानी के दरबार में दर्शन कर अपनी मनोकामना को पूर्ण करे।