भोपाल/लखनऊ। पुलिस की जांच में एक और क्वालिफाइंग एग्जाम के पेपर लीक में बड़ी साजिश का खुलासा हुआ है। उत्तर प्रदेश में रिव्यू ऑफिसर /असिस्टेंट रिव्यू ऑफिसर पोस्ट के लिए 11 फरवरी को हुआ एग्जाम पेपर लीक के आरोपों के बाद कैंसिल कर दिया गया है। इस एग्जाम में 10 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स शामिल हुए थे। हालांकि, यूपी प्रशासन ने पेपर लीक के आरोपों को खारिज किया है। गाजीपुर की जिला मजिस्ट्रेट आर्यका अखौरी ने कहा कि कोई पेपर लीक नहीं हुआ था। सेंटर इंविजिलेटर की ओर से लापरवाही हुई। उन्होंने एग्जाम हॉल के बजाए कंट्रोल रूम में क्वेश्चन पेपर का बंडल खोल दिया था।
दूसरी ओर पुलिस की जांच में सामने आया कि यूपी रिव्यू ऑफिसर/असिस्टेंट रिव्यू ऑफिसर के एग्जाम का पेपर भोपाल से लीक किया गया था। इसमें इंजीनियरिंग के 4 छात्र शामिल थे। यूपी पुलिस एसटीएफ ने एग्जाम पेपर लीक मामले में प्रयागराज जिले के कीडगंज में एक प्रिंटिंग प्रेस में काम करने वाले सुनील रघुवंशी समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। पेपर 11 फरवरी की सुबह प्रयागराज के एग्जाम सेंटर बिशप जॉन्सन गर्ल्स स्कूल एंड कॉलेज से लीक कराया गया था। जांच टीम को शक हुआ कि पेपर इस एग्जाम सेंटर के अलावा कहीं और से भी लीक कराया गया हो सकता है। ऐसे में प्रिंटिंग प्रेस के बारे में जानकारी ली गई, तो पता चला कि पेपर भोपाल से प्रिंट करवाया गया था।
4 इंजीनियरों ने किया था पेपर लीक
पेपर राजीव नयन मिश्रा, सुभाष प्रकाश, विशाल दुबे और सुनील रघुवंशी (प्रिटिंग प्रेस कर्मचारी) नाम के 4 इंजीनियरों ने लीक किया था। चारों अलग-अलग प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़े थे। एग्जाम की मॉनिटरिंग कर रहे अर्पित विनीत यशवंत ने एग्जाम की सुबह 6.30 बजे क्वेश्चन पेपर की फोटो ली थी। पेपर भोपाल की किसी प्रिंटिंग प्रेस में छपे थे। एग्जाम पेपर लीक के मास्टरमाइंडों में से एक राजीव नयन मिश्रा ने एक प्रिंटिंग प्रेस स्टाफ सुनील रघुवंशी (भोपाल), विशाल दुबे (प्रयागराज) और सुभाष प्रकाश (मधुबनी) के साथ मिलकर इसकी साजिश रची थी। जब यह पेपर प्रिंटिंग प्रेस में आया, तो सुनील ने अन्य लोगों को इसकी जानकारी दी। उन्होंने पेपर हाथ में देने के लिए 10 लाख रुपए की मांग की। हालांकि, सुनील ने शर्त भी रखी कि उम्मीदवारों को उनके सामने पेपर पढ़ना होगा, ताकि यह वायरल न हो जाए। राजीव मिश्रा, सुनील रघुवंशी और एक अन्य साथी सुभाष प्रकाश ने शर्तों पर सहमति जताई।
3 फरवरी को पेपर किया गया था चोरी
प्रिंटिंग के दौरान कोई क्वेश्चन पेपर डैमेज हो जाए, तो उसे अलग कर दिया जाता है। बाद में उन्हें श्रेडर के इस्तेमाल से नष्ट कर दिया जाता है। सुनील रघुवंशी को इसी मौके की तलाश थी। 3 फरवरी को सुनील मशीन रिपेयरिंग के लिए प्रिंटिंग प्रेस पर मौजूद था। प्रेस में क्वेश्चन पेपर देखकर वह मशीन को ठीक करने का बहाना करते हुए मशीन में छपा का एक हिस्सा अपने साथ लेकर गया। वह कागजात घर ले आया और अपने साथियों को इसकी खबर दी। ग्रुप ने फैसला लिया कि एग्जाम से तीन दिन पहले 8 फरवरी को कैंडिडेट्स को एक होटल के रूम में बुलाया जाएगा और हर एक को 12 लाख रुपए में पेपर दिखाया जाएगा। सुनील रघुवंशी क्वेश्चन पेपर के दो सेट की 6 कॉपी लेकर होटल पहुंचा। सुभाष प्रकाश ने एक असिस्टेंट के साथ पेपर सॉल्व किया। होटल में ही स्टूडेंट्स को आंसर याद कराए गए। दो अन्य साथी विवेक उपाध्याय और अमरजीत शर्मा बाकी अभ्यर्थियों को होटल लेकर आए।
नीट पेपर लीक मामले में अब तक 25 गिरफ्तारियां
इधर, नीट परीक्षा के पेपर लीक की जांच में अब तक देश के अलग-अलग राज्यों से 25 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। बिहार से 13, झारखंड से 5, गुजरात के गोधरा से 5 और महाराष्ट्र के लातूर से 2 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। मामले की जांच केंद्र सरकार ने सीबीआई को सौंपी है। सीबीआई की टीमें सोमवार को बिहार और गुजरात पहुंची है। बिहार ईओयू ने अपनी जांच रिपोर्ट सीबीआई को सौंप दी है। पटना में पेपर लीक के मास्टरमाइंड संजीव मुखिया की गिरफ्तारी के लिए ईओयू की 6 टीमें अलग-अलग जगहों पर छापेमारी कर रही है।