भोपाल। भारत निर्वाचन आयोग ने 6 जनवरी 2022 को एक बड़ा फैसला लेते हुए लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों के खर्च की सीमा में वृद्धि की थी। खर्च वृद्धि का निर्णय वर्ष 2014 के बाद अर्थात सात साल बाद लिया गया। चुनाव आयोग के नए नियम के मुताबिक लोकसभा चुनावों में जिन राज्यों में अभी तक उम्मीदवार के लिए चुनावी खर्च की सीमा अधिकतम 70 लाख रुपए थी, उसको बढ़ाकर 95 लाख रुपए किया गया है।
इसके अलावा जिन राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेश में यह सीमा 54 लाख थी, उसे बढ़ाकर 75 लाख किया गया है। राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए चुनावी खर्च की सीमा 20 लाख से बढ़ाकर 28 लाख और जिन राज्यों में 28 लाख रुपए थी उसे बढ़ाकर 40 लाख रुपए कर दिया गया है। नई खर्च सीमा जनवरी 2022 से सभी चुनावों पर लागू कर दी गई है।
गरीब, रोजगार, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों से दूर भागता आम चुनाव
राकेश अचल वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि मेरी याददाश्त में देश में ये पहला और शायद आखिरी आम चुनाव है जो जनता के मुद्दों से दूर भागता नजर आ रहा है। देश के मतदाताओं से सीधे जुड़े मुद्दों पर बातचीत करने के बजाय ऐसे मुद्दों पर विमर्श को केंद्रित करने की कोशिश की जा रही है जो न केवल अप्रासंगिक हैं, बल्कि उनका आज की तारीख में देश और देश की जनता से कोई लेना-देना नहीं है। देश में अठारहवीं लोकसभा के लिए चुनाव की प्रक्रिया जारी है। इनमें से कम से कम 14 आम चुनावों का मैं चश्मदीद हूं और कम से कम एक दर्जन आम चुनावों का कवरेज एक पत्रकार के नाते मैंने किया है।
लेकिन ये पहला मौक़ा है जब आम चुनावों को मुद्दों से भटकाने की एक सुनियोजित कोशिश की जा रही है। दरअसल चुनाव में मुद्दा भ्रष्टाचार होना था। जबकि इस आम चुनावों में पार्टिया अपनी उपलब्धियों के बूते चुनाव न लड़कर अप्रासंगिक, निराधार और निरर्थक मुद्दों को सामने रखकर चुनाव लड़ रही है। गरीब, रोजगार, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे गायब हो गए है। आम जनता और देश के भविष्य पर इसका दूरगामी प्रभाव अवश्य पड़ेगा। मुमकिन है कि देश सचमुच विश्व गुरु बन जाए और मुमकिन है कि सचमुच भारत की और दुर्दशा हो जाए। पर आप मतदान अवश्य कीजिए और अपना तथा अपने देश का ख्याल रखिए।