भोपाल। यूजीसी (University Grants Commission) ने मध्य प्रदेश की 18 यूनिवर्सिटीज को लोकपाल की नियुक्ति नहीं होने पर डिफाल्टर घोषित कर दिया है। इन विश्वविद्यालयों में राजधानी स्थित राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विवि, अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विवि सहित प्रदेश के कई नामचीन विवि शामिल हैं। यूजीसी ने देश के कुल 421 विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर घोषित किया है, उसमें मध्य प्रदेश के 18 विवि शामिल हैं।
मध्य प्रदेश के इन 18 विश्वविद्यालय को इसलिए डिफाल्टर घोषित किया गया है क्योंकि इन विश्वविद्यालय में लोकपाल पद पर नियुक्ति नहीं की है। बताया गया है कि विश्वविद्यालयों के डिफाल्टर घोषित होने से वर्तमान सत्र में विद्यार्थियों की परीक्षा, मार्कशीट, डिग्री, डिप्लोमा आदि पर कोई असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि यह यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त होते हैं। आने वाले समय में जब यूनिवर्सिटी द्वारा लोकपाल नियुक्ति करने की जानकारी यूजीसी को दे दी जाएगी, तब वे फिर से डिफाल्टर की श्रेणी से बाहर आ जाएंगी।
ये विश्वविद्यालय डिफाल्टर की सूची में दर्ज
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विवि, भोपाल
हिन्दी विश्वविद्यालय, भोपाल
पत्रकारिता एवं संचार विवि, भोपाल
सांची विश्वविद्यालय, रायसेन
राजा शंकरशाह विवि, छिंदवाड़ा
रानी दुर्गावती विवि, जबलपुर
अवेधश प्रताप सिंह विवि, रीवा
महात्मा गांधी ग्रामोदय विवि, चित्रकूट
संगीत एवं कला विवि, ग्वालियर
जीवाजी विवि, ग्वालियर
पंडित एसएन शुक्ल विवि, शहडोल
पशु चिकित्सा विज्ञान विवि, जबलपुर
संस्कृत एवं वैदिक विवि, उज्जैन
छत्रसाल बुंदेलखंड विवि, छतरपुर
मप्र चिकित्सा विज्ञान विवि, जबलपुर
कृषि विवि, जबलपुर
सामाजिक विज्ञान विवि, इंदौर
विधि विश्वविद्यालय, जबलपुर
क्यों आवश्यक होती है विवि में लोकपाल की नियुक्ति?
बताया गया है कि विद्यार्थियों की शिकायतों के निराकरण के लिए राज्य स्तर पर विश्वविद्यालयों में लोकपाल की नियुक्ति की जाती है। हालांकि, इनकी नियुक्ति के लिए कुछ मापदंड तय किए गए हैं। इसके लिए ऐसे व्यक्ति लोकपाल के पद के लिए चुने जाते हैं, जो किसी विवि के कुलपति के पद पर रह चुके हों। इसके अलावा उन्होंने शिक्षा और अनुसंधान आदि के क्षेत्र में भी प्रख्याति प्राप्त की हो। पहले नियुक्त किए गए लोकपाल के कार्यकाल की समाप्ति के बाद अगले कार्यकाल की नियुक्ति के लिए समीक्षा कर निर्णय लिया जाता है।
जब तक नियुक्ति नहीं, मान्यता नहीं मिलेगी
यूजीसी के इस एक्शन के बाद भी यदि विश्वविद्यालयों में लोकपाल की नियुक्ति नहीं हुई तो संबंधित विवि को मान्यता नहीं मिल सकेगी। जिससे विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। नियुक्ति होने पर विवि को मान्यता मिल जाएगी, जिससे वह विद्यार्थियों को प्रवेश दे सकेगी।