Pope Francis Funeral: ईसाई कैथोलिक धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का शनिवार को अंतिम संस्कार किया गया है। अंतिम संस्कार की रस्में वेटिकन के सेंट पीटर्स स्क्वायर में सुबह 10 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक संपन्न की गई। जिसके बाद पोप के शव वेटिकन के बाहर दफनाया गया। पोप के अंतिम दर्शन के लिए दुनिया भर से कई बड़े नेता रोम पहुंचे थे। जहां पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सहित लगभग 170 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। बता दें कि पोप की अंतिम संस्कार में लगभग ढाई लाख से भी अधिक श्रद्धालुओं के जुटे थे।
इन दिन हुआ था निधन:
बता दें कि फ्रांसिस फेफड़ों से जुड़ी कुछ बिमारियों से ग्रसित थे। जिसके चलते 88 साल की उम्र में 21 अप्रैल को निधन हो गया। पोप के अंतिम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को ताबूत में सेंट पीटर्स बेसिलिका में रखा है। पिछले एक हफ्ते से वहीं पोप के अंतिम दर्शन के लिए लंबी कतारें लगी रहीं। करीब डेढ़ लाख लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए रोम पहुंचे हुए थे।
अंतिम संस्कार के लिए गई थी कड़ी सुरक्षा :
पोप के अंतिम संस्कार में कड़ी सिक्योरिटी तैनात की गई है। हजारों इटैलियन पुलिस, मिलिट्री और वेटिकन के स्विस गार्ड तैनात हैं। सैनिकों के पास बंदूकें हैं। इमारतों की छतों पर स्नाइपर्स और फाइटर जेट्स को स्टैंडबाई पर रखा गया है। सेंट पीटर्स बेसिलिका के अंदर और बाहर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सिक्योरिटी चेक बढ़ा गया था और पहले से ही बैरिकेड्स लगाए थे।
एक महीने से थे अस्पताल में भर्ती:
पोप कई महीनों से लगातार स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। जिसके बाद 14 फरवरी 2025 को फिर पोप को सांस लेने में तकलीफ होने लगी और उन्हें इलाज के लिए जेमेली अस्पताल में एडमिट किया गया था। पोप के फेफड़ों में इन्फेक्शन होने की वजह से डबल निमोनिया होने की वजह से अस्पताल में भर्ती किया गया था। जहां पर एक महीने से ज्यादा समय के बाद उन्हें 14 मार्च को उन्हें डिस्चार्ज किया गया था। जिसके बाद वेटिकन के कासा सांता मार्टा स्थित अपने निवास पर सोमवार(21 अप्रैल) को पोप ने अपनी सांस ली।
पोप फ्रांसिस का अंतिम संदेश:
अपने आखिर संदेश में पोप फ्रांसिस ने विकास को बढ़ावा देने वाली पहलों को प्रोत्साहित करने भूखों को खाना देने और जरूरतमंदों की मदद करने की अपील की थी। उन्होंने ईस्टर पर जारी अपने संदेश में लिखा-'मैं हमारी दुनिया में राजनीतिक जिम्मेदारी के पदों पर बैठे सभी लोगों से अपील करता हूं कि वे डर के आगे न झुकें। डर दूसरों से अलगाव की ओर ले जाता है। सभी जरूरतमंदों की मदद करने, भूख से लड़ने और विकास को बढ़ावा देने वाली पहलों को प्रोत्साहित करने के लिए उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करें।