रायपुर: पड़ोसी राज्य ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच यात्री बस चलाने की तैयारी है। जिसके लिए 170 नए मार्गों पर बनाएं जाएंगे। छत्तीसगढ़ सरकार ने इस संबंध में एक रूट तय कर दावा आपत्ति मंगाई है। यही प्रक्रिया ओडिशा सरकार द्वारा भी अपनाई जाएगी। दोनों राज्यों के बीच सहमति बनने के बाद इंटर स्टेट यात्री बसों का संचालन होगा। हालांकि इससे पहले ओडिशा में छत्तीसगढ़ की बसों का चलना बेहद कठिन है। इस विवाद को लेकर बस ऑपरेटर भारी नाराजगी में नजर आ रहे हैं। व्यवसाय के प्रमुख स्थान के आधार पर एक राज्य से परमिट रखने वाले व्यक्ति को पारस्परिक या निवास के परिवर्तन राज्य से परमिट प्राप्त करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। स्थायी अनुज्ञा पत्र के अंतरण की अनुमति केवल परिवार के सदस्यों के मध्य होने पर ही दी जाएगी।
दस मिनट का होगा वाहनों का अंतराल:
छत्तीसगढ़ सरकार एवं उड़ीसा सरकार द्वारा स्वीकृत अनुज्ञा पत्रों एवं प्रतिहस्ताक्षर किये गये अनुज्ञा पत्रों की सूची को दोनों राज्य साझा करेंगे। नवीन अनुज्ञापत्र की स्वीकृति के दौरान प्राप्त आपत्तियों व अन्य तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए, वाहनों के मध्य कम से कम 10 मिनट का युक्तियुक्त अंतराल बनाए रखा जायेगा। दोनों राज्यों के मध्य अवैध वाहन संचालन संबंधी शिकायतों पर तत्काल कार्यवाही की जायेगी और छत्तीसगढ़ के बस संचालकों को उड़ीसा राज्य में वाहन संचालन हेतु सभी प्रकार की सुविधा और आवश्यक सहयोग उड़ीसा सरकार द्वारा प्रदान किया जायेगा। इसी प्रकार की सुविधा व सहयोग छत्तीसगढ़ राज्य में उड़ीसा के वाहन संचालकों को दी जायेगी।
बस संचालकों में दिखी नारजगी:
छत्तीसगढ़ से ओडिशा की ओर बस संचालन करने वाले आपरेटरों में मौजूदा व्यवस्था को लेकर नाराजगी है, क्योंकि उनके वाहनों को ओडिशा में चलने नहीं दिया जा रहा है। इस वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ से ओडिशा तक संचालित होने वाले वाहन की मौजूदा व्यवस्था को लेकर बस आपरेटरों में काफी नाराजगी देखने को मिली है, क्योंकि ओडिशा में उनके वाहनों को चलने नहीं दिया जा रहा है। इस संबंध में छग यातायात महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष अनवर अली का कहना है कि ओडिशा एवं छत्तीसगढ़ राज्य के बीच जो फेरों की संख्या बढ़ाई जा रही है, उससे सिर्फ फायदा ओडिशा के बस ऑपरेटरों को होना है।