बलौदाबाजार। सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में पारदर्शिता और कालाबाजारी पर लगाम लगाने के उद्देश्य से प्रदेशभर की सभी उचित मूल्य दुकानों में पॉइंट ऑफ सेल (POS) मशीनें अनिवार्य कर दी हैं। इस व्यवस्था के तहत उपभोक्ता आधार प्रमाणीकरण या मोबाइल OTP के माध्यम से राशन प्राप्त कर सकते हैं। उद्देश्य भले ही सराहनीय हो, लेकिन इसका असर ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में एक नई चुनौती के रूप में सामने आ रहा है।
गर्मी, दूरी और नेटवर्क की त्रासदी:
बलौदा बाजार जिले के ग्राम घोटिया की बात करें तो यहाँ दोपहर 1 बजे, जब पारा चरम पर था, 2 किलोमीटर दूर से बुजुर्ग महिलाएं और पुरुष राशन लेने पहुंचे। लेकिन POS मशीन खराब होने और नेटवर्क की समस्या के चलते उन्हें घंटों इंतजार के बावजूद खाली हाथ लौटना पड़ा। यह हाल केवल घोटिया का नहीं, बल्कि राज्य के कई दूरस्थ ग्रामों का है।
POS मशीनें बनीं समस्या का कारण:
ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क की खराब स्थिति के चलते POS मशीनें समय पर काम नहीं कर पातीं। उपभोक्ता जहां राशन के लिए कतार में खड़े रहते हैं, वहीं राशन विक्रेताओं को घंटों नेटवर्क के आने का इंतजार करना पड़ता है। कभी सर्वर डाउन, तो कभी मशीन हैंग हो जाती है, जिससे वितरण की प्रक्रिया पूरी तरह बाधित हो जाती है।
पैदल चलकर आते हैं उपभोक्ता, फिर भी खाली हाथ लौटते हैं:
गांवों में रहने वाले गरीब, बुजुर्ग और महिलाएं दो से तीन किलोमीटर पैदल चलकर उचित मूल्य दुकानों तक पहुंचते हैं। लेकिन नेटवर्क की लचर व्यवस्था के कारण वे गर्मी और थकान झेलने के बाद भी राशन से वंचित रह जाते हैं। इससे उनमें आक्रोश और निराशा दोनों बढ़ती जा रही है।
स्थानीयों की मांग—सरकार करे ठोस व्यवस्था:
गांववासियों और राशन विक्रेताओं की एक स्वर में मांग है कि या तो नेटवर्क व्यवस्था को मजबूत किया जाए, या फिर ऐसी वैकल्पिक व्यवस्था की जाए, जिससे ग्रामीणों को समय पर और बिना बाधा के राशन मिल सके। तकनीक का उद्देश्य सुविधाजनक बनाना होता है, ना कि परेशानी बढ़ाना।