52 Shaktipeeths 26 Nalhati Shaktipeeth: पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के नलहाटी शहर में स्थित नलहाटी शक्तिपीठ को माँ नलतेश्वरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह पवित्र स्थान भारत के 52 प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है। यहाँ देवी सती का कंठ (नाल) गिरा था, इसलिए इस स्थान का नाम “नलहाटी” पड़ा।
पौराणिक कथा और धार्मिक महत्व:
हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार सती के शरीर को 52 भागों में से एक भाग देवी सती का कंठ इस स्थान पर गिरा था। इसी कारण यहाँ देवी को माँ नलतेश्वरी के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर वाणी, संगीत और भक्ति की दिव्य शक्ति का केंद्र माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि माँ नलतेश्वरी की आराधना करने से भक्तों को वाणी की मधुरता, ज्ञान और आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है।
माँ नलतेश्वरी की मूर्ति और मंदिर की विशेषता:
नलहाटी शक्तिपीठ हरे-भरे पहाड़ों और घने जंगलों से घिरे एक ऊँचे टीले पर स्थित है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में माँ काली का अद्वितीय स्वरूप विद्यमान है तीन बड़ी आँखें और सुनहरी-लाल जीभ वाली यह मूर्ति देवी की असीम ऊर्जा और चेतना का प्रतीक मानी जाती है। मंदिर परिसर का शांत वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता इस स्थान को साधना एवं ध्यान के लिए एक आदर्श स्थान बनाते हैं।
आस्था और दर्शन का महत्व:
नलहाटी शक्तिपीठ में सालभर हजारों श्रद्धालु माँ नलतेश्वरी के दर्शन के लिए आते हैं। नवरात्रि, दुर्गा पूजा और अमावस्या के अवसरों पर यहाँ विशेष पूजा-अर्चना और भक्ति अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं।माना जाता है कि यहाँ सच्चे मन से प्रार्थना करने पर सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और जीवन में शांति एवं समृद्धि आती है। नलहाटी शक्तिपीठ न केवल एक धार्मिक धाम है बल्कि यह भक्ति, शक्ति और ज्ञान का संगम स्थल भी है। यहाँ माँ नलतेश्वरी की पूजा करने से जीवन में सकारात्मकता और आत्मिक शांति प्राप्त होती है यह पवित्र स्थल सदियों से भक्तों की आस्था का केंद्र रहा है और आज भी माँ नलतेश्वरी की कृपा पाने के लिए लाखों श्रद्धालु यहाँ दर्शन हेतु पहुँचते हैं।