प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार, 18 दिसंबर 2025, को ओमान के सुल्तान हसीम बिन तारिक अल सईद से मुलाकात कर द्विपक्षीय सहयोग को नई दिशा दी। इस उच्चस्तरीय बैठक के दौरान भारत और ओमान के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर हस्ताक्षर किए गए, जिससे दोनों देशों के व्यापारिक रिश्ते और मजबूत होंगे।
इस अवसर पर ओमान सरकार ने भारत-ओमान संबंधों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में योगदान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘ऑर्डर ऑफ ओमान’ सम्मान से नवाजा।
FTA से भारत को मिलेगा क्या फायदा?
भारत-ओमान फ्री ट्रेड समझौते से देश के श्रम-आधारित उद्योगों को बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है। टेक्सटाइल, लेदर, फुटवियर, रत्न-आभूषण, इंजीनियरिंग उत्पाद, प्लास्टिक, फर्नीचर, कृषि उत्पाद, फार्मास्यूटिकल्स, मेडिकल डिवाइस और ऑटोमोबाइल सेक्टर के निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा।
इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और खास तौर पर MSME, महिला उद्यमियों और पारंपरिक कारीगरों को अंतरराष्ट्रीय बाजार तक बेहतर पहुंच मिलेगी। यह बीते छह महीनों में भारत का दूसरा बड़ा फ्री ट्रेड समझौता है।
खाड़ी क्षेत्र में भारत की व्यापारिक पकड़ मजबूत
भारत पहले ही संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के साथ मई 2022 में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट लागू कर चुका है। यूएई के अलावा खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) में बहरीन, कुवैत, सऊदी अरब और कतर शामिल हैं।
अब भारत और कतर के बीच भी व्यापार समझौते को लेकर बातचीत की तैयारी चल रही है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत-ओमान का कुल द्विपक्षीय व्यापार लगभग 10.5 अरब अमेरिकी डॉलर रहा।
आयात-निर्यात में किन वस्तुओं का है दबदबा?
भारत ओमान से मुख्य रूप से पेट्रोलियम उत्पाद और यूरिया का आयात करता है, जो कुल आयात का 70 प्रतिशत से अधिक है। इसके अलावा पेट कोक, जिप्सम, रसायन, लोहा-इस्पात और एल्युमीनियम जैसे उत्पाद भी शामिल हैं।
वहीं भारत ओमान को खनिज ईंधन, रसायन, बहुमूल्य धातुएं, अनाज, जहाज, इलेक्ट्रिकल मशीनरी, बॉयलर, चाय, कॉफी, मसाले, वस्त्र और खाद्य उत्पाद निर्यात करता है।
‘चार बड़े वैश्विक बाजारों तक पहुंचेगा भारत’
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत-ओमान FTA से टेक्सटाइल, फूड प्रोसेसिंग, ऑटोमोबाइल, ज्वेलरी, एग्रोकेमिकल, रिन्यूएबल एनर्जी और ऑटो कंपोनेंट्स क्षेत्रों में नए निवेश और व्यापारिक अवसर पैदा होंगे।
उन्होंने ओमान को GCC, मध्य एशिया, पूर्वी यूरोप और अफ्रीका के लिए एक रणनीतिक प्रवेश द्वार बताते हुए कहा कि यह समझौता भारतीय उद्योगों के लिए वैश्विक बाजारों के दरवाजे खोलेगा।