रायपुर। छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार की एक शर्मनाक तस्वीर सामने आई है, जहां एक बाबू ने न सिर्फ अपने पद का दुरुपयोग किया, बल्कि हाई कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद भी रिश्वत लेने से बाज नहीं आया। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ बाबू एम.एफ. फारुखी को ACB ने सोमवार को 15 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया।
हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं दिया वेतन:
मामला एक संविदा चपरासी से जुड़ा है, जिसे शिक्षा विभाग में नियुक्ति के बाद महीनों तक वेतन नहीं मिला। परेशान होकर चपरासी ने बिलासपुर हाई कोर्ट की शरण ली। कोर्ट ने सुनवाई के बाद ₹1.15 लाख रुके हुए वेतन का भुगतान करने का आदेश जारी कर दिया। लेकिन इस आदेश के बावजूद बाबू फारुखी ₹20 हजार की रिश्वत मांगे बिना फाइल आगे बढ़ाने को तैयार नहीं था।
पहले ले चुका था ₹5 हजार, आज रंगे हाथ पकड़ा गया:
जानकारी के मुताबिक, आरोपी बाबू पहले ही ₹5 हजार की रिश्वत ले चुका था। आज सोमवार को बचे हुए ₹15 हजार की डील तय हुई थी। इस बीच पीड़ित चपरासी ने ACB को पूरे मामले की सूचना दी। ACB ने तुरंत योजना बनाकर कार्रवाई की। जैसे ही चपरासी ने तय राशि फारुखी को दी, करीब दोपहर 12 बजे मौके पर मौजूद ACB की टीम ने उसे रंगे हाथ पकड़ लिया।फिलहाल ACB ने आरोपी बाबू को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।
सवालों के घेरे में व्यवस्था:
इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जब हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी अधिकारी रिश्वत मांगने से नहीं चूकते, तो आम नागरिक को न्याय और अधिकारों के लिए कितना संघर्ष करना पड़ता होगा? अब देखना होगा कि इस भ्रष्टाचार पर शासन क्या कड़ा कदम उठाता है।