नई दिल्ली: कभी जिनके मंच से दोस्ती के नारे लगते थे, आज वही नाम भारत की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नुकसान पहुंचा रहे हैं। जिस देश के पूर्व राष्ट्रपति ने “हाउडी मोदी” में हाथ थामकर भरोसे का प्रदर्शन किया था, आज उसी की तरफ से भारत को असुरक्षित घोषित किया जा रहा है। सवाल ये नहीं है कि भारत कितना सुरक्षित है, सवाल ये है कि कोई कैसे इतना बड़ा झूठ पूरी दुनिया के सामने इतनी सहजता से बोल सकता है? और वो भी उस देश के खिलाफ, जिसे कभी "सच्चा मित्र" कहा था। भारत की धरती को अपराध और आतंक का अड्डा बताकर जिस तरह ट्रैवल एडवाइजरी जारी की गई है, वो ना सिर्फ भारत के खिलाफ, बल्कि दोस्ती और भरोसे जैसे मूल्यों के खिलाफ भी एक करारा तमाचा है। जब आप किसी ऐसे व्यक्ति पर भरोसा करते हैं, जो खुद अपनी नीतियों की विफलता से बौखलाया हो, तो नतीजे अक्सर धोखे में बदल जाते हैं। अब किसे मिला है धोखा, अमेरिका की ट्रेवल एडवाइजरी में ऐसा क्या है की पूरे भारत में बढ़ गया है गुस्सा? करते हैं सभी जानकारी आपसे साझा
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भारत के लिए लेवल-2 ट्रैवल एडवाइजरी जारी की, जिसमें अपने नागरिकों को भारत यात्रा के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी गई। इस एडवाइजरी में झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, बिहार, मेघालय और ओडिशा जैसे राज्यों को असुरक्षित बताया गया, जहां अमेरिकी नागरिकों को यात्रा से पहले विशेष अनुमति लेने को कहा गया। अपराध, यौन हिंसा और आतंकवाद के खतरे को इसका कारण बताया गया। इस एडवाइजरी ने भारत में सियासी बवाल मचा दिया, खासकर जब पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने इसे पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की दोस्ती पर तंज कसते हुए भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला बताया। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये एडवाइजरी वाकई भारत की सुरक्षा स्थिति को दर्शाती है या इसके पीछे कोई और मकसद है? क्या ट्रंप अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए भारत को बदनाम कर रहे हैं?
महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल: हकीकत या प्रचार?
एडवाइजरी में खास तौर पर अमेरिकी महिलाओं को भारत में अकेले यात्रा न करने की सलाह दी गई, क्योंकि यहां दुष्कर्म और यौन हिंसा के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पर्यटक स्थल, बाजार और सार्वजनिक जगहों पर आतंकी हमलों का खतरा भी बताया गया। लेकिन ये दावे कितने सही हैं? अमेरिकी विदेश विभाग ने खुद स्वीकार किया कि यौन हिंसा के मामले उनके अपने देश में भी कम नहीं हैं। फिर भारत को निशाना क्यों? छत्तीसगढ़ में नक्सली गतिविधियां लेकिन मेघालय में सिर्फ एक घटना के चलते पूरे राज्य को advisory में डाल कर असुरक्षितय घोषित कर देना तो सरासर अन्याय है झूट हैं, लेकिन क्या इन्हें बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने से भारत की छवि खराब नहीं होती क्या ऐसा रूप होता है विश्वगुरु मानें जाने वाले देश का ? भारत की राजधानियों जैसे रांची, रायपुर, पटना और कोलकाता को सुरक्षित माना गया, लेकिन ग्रामीण इलाकों को खतरनाक बताना क्या भारत की छवि खराब करने की कोशिश है? ट्रंप की ये हरकत “हाउडी मोदी” और “ट्रंप है तो मुमकिन है” जैसे नारों के बाद दोस्ती की पीठ में छुरा घोंपने जैसी लगती है, और अपने लोगो को यानि अमेरिका के लोगों की नज़रों में supreme leader बनने के चक्कर में डोनाल्ड ट्रम्प झूट की बुनाई में लग गया है
ट्रंप की नाकामी: ईरान हमले का डर?
हाल ही में ट्रंप के आदेश पर ईरान पर B-2 बॉम्बर्स से हमला किया गया, जिसने मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ा दिया। अब अमेरिका अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर इतना डरा हुआ क्यों है? क्या ट्रंप को लगता है कि उनकी नीतियों की वजह से अमेरिकी नागरिकों पर खतरा बढ़ गया है? भारत जैसे देश को असुरक्षित बताकर क्या ट्रंप अपनी नाकामियों का ठीकरा दूसरों पर फोड़ रहे हैं? भारत में आतंकवाद और अपराध के मुद्दे हैं, लेकिन मेघालय जैसे शांतिप्रिय राज्य को असुरक्षित बताने का क्या आधार है? छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या है, लेकिन वहां की सरकार और सुरक्षा बल इसे काबू करने में लगे हैं। ट्रंप का भारत के आंतरिक मामलों में दखल देना और हमारे राज्यों को असुरक्षित ठहराना साफ़ तौर पर उनकी हताशा दर्शाता है? क्या ये भारत की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचाने का काम नहीं क्र रहा है, इंसान के नीच भारत के प्रधान मंत्री की प्रतिक्रिया पर देश की नजरें टीकी हुई हैं
सियासी घमासान: कांग्रेस vs बीजेपी
इस एडवाइजरी ने भारत में सियासी तूफान खड़ा कर दिया। छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने X पर पोस्ट कर कहा कि अमेरिका की ये चेतावनी पीएम मोदी के “सुरक्षित भारत” के दावों को झुठलाती है। उन्होंने ट्रंप की दोस्ती पर भी सवाल उठाए। जवाब में बीजेपी ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि वो अमेरिकी प्रॉपगैंडा का सहारा ले रही है। बीजेपी ने बघेल के शासनकाल में छत्तीसगढ़ में अपराध के आंकड़े गिनाए, जहां हर 6 घंटे में दुष्कर्म और 8 घंटे में हत्या होती थी। बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस भारत की छवि खराब करने के लिए विदेशी ताकतों के साथ मिली हुई है। सत्ता पक्ष की इस बात को सुनकर ऐसा लगता है जैसे अब कांग्रेस को क्या वाइट हाउस से चलाया जा रहा है? ये सारे आरोप प्रत्यारोप आपसी राजनीति करने में इस्तेमाल होते है लेकिन जब कोई बाहरी देश ऐसे आरोप लगाए तो देश के प्रधान नेता की जवाबदारी है इसका जवाब देना नाकि अपने देश के नागरिको में राजनैतिक परचम काभेद ढूंढ़ना और उसके अनुसार प्रतिक्रिया देना, क्या ट्रंप की एडवाइजरी ने भारत के आंतरिक सियासी मतभेदों को और उजागर करती नज़र आ रही है अपनी प्रतिक्रिया कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें