जगदलपुर: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ अब तक के सबसे बड़े 21 दिन चले एंटी नक्सल ऑपरेशन अंजाम दिया हैं। जिसमें 1.72 करोड़ के 31 नक्सलियों को जवानों ने मार गिराया गया। इस दौरान सुरक्षाबलों के जवानों ने 450 आईईडी निर्षक्रय करते हुए केजीएच हिल्स पहुंचे तथा 4 हथियार फैक्ट्री व 250 गुफा को ध्वस्त कर दिया। जवानों ने मारे गए नक्सलियों के शवों के अलावा सैकड़ों की संख्या में हथियार, गोला-बारूद और अन्य सामान बरामद किए।
प्रेसवार्ता में दी जानकारी :
प्रेसवार्ता में डीजीपी सीआरपीएफ अभय प्रताप, छग डीजीपी अरूण देव गौतम व अन्य अधिकारियों ने पूरे ऑपरेशन की जानकारी दी। डीजीपी ने बताया कि सुरक्षा बलों द्वारा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर ज्वाइंट एक्शन प्लान के अंतर्गत माओवाद विरोधी अभियान का संचालन किया। इस एक्शन प्लान के क्रियान्वयन के फलस्वरूप सुरक्षा बलों ने माओवादियों के आर्ड काडर्स एवं इको सिस्टम को भारी क्षति पहुंचाई है। जिससे माओवादियों के प्रभाव क्षेत्र में काफी कमी आई है। प्रेसवार्ता के दौरान डीजी सीआरपीएफ ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह, डीजीपी छग अरूण देव गौतम, एडीजी नक्सल ऑपरेशन विवेकानंद सिन्हा, आईजी सुंदरराज पी के अलावा एसपी बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा व सीआरपीएफ के अन्य अधिकारी मौजूद थे।
18 जवान घायल :
डीजीपी ने बताया कि अभियान के दौरान 216 माओवादी ठिकाने व बंकर नष्ट किए गए। इन बंकरों व नक्सल ठिकानों की तलाशी के दौरान 450 आईईडी, 818 बीजीएल सेल, 899 बंडल कार्डेक्स, डेटोनेटर एवं भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्रियां बरामद किए गए हैं। अभियान के दौरान जवानों ने माओवादियों की 4 तकनीकी इकाइयों को नष्ट किया, जिनका उपयोग बीजीएल सेल, देशी हथियार, आईईडी और अन्य घातक हथियारों के निर्माण के लिए किया जा रहा था। इन तकनीकी इकाइयों के ठिकानों से 4 लेथ मशीनें भी बरामद कर नष्ट किए गए। अभियान के दौरान विभिन्न माओवादी ठिकानों और बंकरों से बड़ी मात्रा में राशन सामग्री, दवाएं एवं दैनिक उपयोग की वस्तुएं भी बरामद किए गए। सबसे लंबे समय तक चले अभियान के दौरान 21 दिन में आईईडी विस्फोटों में कोबरा, एसटीएफ और डीआरजी के कुल 18 जवान घायल हुए। सभी घायल जवान अब खतरे से बाहर हैं और उन्हें विभिन्न अस्पतालों में सर्वोत्तम उपचार प्रदान किया जा रहा है।
माओवादियों के मजबूत संगठन पर प्रभावी कार्रवाई :
माओवादियों के सबसे मजबूत सशस्त्र संगठन पीएलजीए बटालियन, सीआरसी कंपनी एवं तेलंगाना स्टेट कमेटी समेत शीर्ष काडर्स की शरणस्थली जिला सुकमा एवं बीजापुर के सीमावर्ती क्षेत्रों में थी। उक्त क्षेत्र में चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सुरक्षा बलों द्वारा अनेक नवीन सुरक्षा कैम्पों की स्थापना की जाकर आसूचना आधारित अभियानों का संचालन किया गया। सुरक्षा बलों का वर्चस्व बढ़ने के फलस्वरूप माओवादियों द्वारा यूनिफाइड कमाण्ड का गठन किया गया एवं उक्त स्थान से पलायन कर जिला बीजापुर, छत्तीसगढ़ एवं जिला मुलुगू, तेलंगाना की सीमा पर माओवादियों द्वारा अभेद्य समझे जाने वाले करेगुट्टालू पहाड़ पर शरण लिया गया था।
मारे गए इन नक्सलियों की हुई शिनाख्त :
21 दिन चले आपरेशन के दौरान सुरक्षाबलों ने मारे गए इन नक्सलियों की हुई 31 नक्सलियों को मार गिराया। इनमें 8 लाख का ईनामी बटालियन नंबर एक की डोडी सन्नी के अलावा बाड़से हूंगी, सोढ़ी हड़मे, मड़कम हिड़मा, माड़वी जोगा, जोगा हेमला, दुग्गा वेका ऊर्फ सोमा, मोटूमडुमा, भीमा माड़वी सादरपल्ली चंदू, सन्नी करटम मंजूला कारम राधा ताती सोढ़ी मंगली, रामे मड़कम, सोमड़ी तामो, कुंजाम भीमे, नरसिंह राव, लखमू पोयामी, सोढ़ी लक्ष्मण, पूनेम पोदिया व अन्य शामिल है। वहीं शेष माओवादियों के शिनाख्त का प्रयास जारी है। इस ऐतिहासिक माओवाद विरोधी अभियान के दौरान कई शीष माओवादी काडर्स या तो मारे गए हैं अथवा गंभीर रूप से घायल हुए हैं। अभियान के दौरान 3 शव 24 अप्रैल को, 1 शव 5 मई को, 22 शव 7 मई को तथा 5 शव 8 मई को बरामद किए गए।