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अर्थशास्त्रियों ने जताई उम्मीद- नौकरी के लिहाज से वित्त वर्ष 2021-22 में होगा काफी सुधार

अर्थशास्त्रियों ने जताई उम्मीद- नौकरी के लिहाज से वित्त वर्ष 2021-22 में होगा काफी सुधार

मुंबई। पिछले दो सालों से कोरोना वायरस महामारी के कारण देश की अर्थव्यवस्था काफी प्रभावित हुई है। खासकर नौकरीपेशा लोगों को इस बीमारी की मार ने तोड़ कर रख दिया है। लाखों लोगों को अपनी नौकरी से हाथा तक धोना पड़ गया है। मगर अब हालात धीरे-धीरे सामान्य होते जा रहे हैं। इसी को देखते हुए देश के सबसे बड़े बैंक State Bank of India के अर्थशास्त्रियों (Economist) का मानना है कि वित्त वर्ष 2021-22 (Financial Year 2021-22) में श्रम बाजार (labour market) की गतिविधियां सुधरेंगी और कंपनियां (Companies) महामारी कम होने के साथ नियुक्ति की योजनाओं को आगे बढ़ा रही हैं। Economits ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees Provident Fund Organization) और नई पेंशन योजना (New Pension Schemes) के नियमित तौर पर जारी मासिक वेतन रजिस्टर (monthly salary register) के आंकड़ों का जिक्र किया।

Home > ऑटो गैजेट > अर्थशास्त्रियों ने जताई... अर्थशास्त्रियों ने जताई उम्मीद- नौकरी के लिहाज से वित्त वर्ष 2021-22 में होगा काफी सुधार देश के सबसे बड़े बैंक State Bank of India के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि वित्त वर्ष 2021-22 में श्रम बाजार की गतिविधियां सुधरेंगी और कंपनियां महामारी कम होने के साथ नियुक्ति की योजनाओं को आगे बढ़ा रही हैं। एसबीआई अर्थशास्त्री Mohammad SaqibCreated On:  4 Sep 2021 12:37 PMLast Updated On:  4 Sep 2021 6:07 PM मुंबई। पिछले दो सालों से कोरोना वायरस महामारी के कारण देश की अर्थव्यवस्था काफी प्रभावित हुई है। खासकर नौकरीपेशा लोगों को इस बीमारी की मार ने तोड़ कर रख दिया है। लाखों लोगों को अपनी नौकरी से हाथा तक धोना पड़ गया है। मगर अब हालात धीरे-धीरे सामान्य होते जा रहे हैं। इसी को देखते हुए देश के सबसे बड़े बैंक State Bank of India के अर्थशास्त्रियों (Economist) का मानना है कि वित्त वर्ष 2021-22 (Financial Year 2021-22) में श्रम बाजार (labour market) की गतिविधियां सुधरेंगी और कंपनियां (Companies) महामारी कम होने के साथ नियुक्ति की योजनाओं को आगे बढ़ा रही हैं। Economits ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees Provident Fund Organization) और नई पेंशन योजना (New Pension Schemes) के नियमित तौर पर जारी मासिक वेतन रजिस्टर (monthly salary register) के आंकड़ों का जिक्र किया। Also Read - Renault ने अपनी नई 7 सीटर Dacia Jogger से उठाया पर्दा, CNG और 6 एयरबैग्स के साथ कंपनी ने दिए ये कमाल के फीचर्स एसबीआई के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष ने एक नोट में कहा कि हमारा अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में श्रम बाजार की गतिविधियां बेहतर रहेंगी। कंपनियां आने वाले समय में नियुक्ति योजनाओं (Appointment Schemes) को अमल में लाएंगी। रोजगार (Employment) को लेकर यह उम्मीद ऐसे समय जतायी गयी है, जब दूसरी महामारी (Corona virus second wave) के बाद बेरोजगारों की संख्या बढ़ने और अर्थव्यवस्था में श्रम भागीदारी में कमी को लेकर चिंता जतायी जा रही है। सेंटर फार मॉनिटरिंग इंडियन एकोनॉमी (Center for Monitoring Indian Economy) के अनुसार केवल अगस्त महीने में 15 लाख भारतीयों की नौकरियां चली गयी। इसमें 13 लाख ग्रामीण क्षेत्रों से हैं।

देश में रोजगार आंकड़े की कमी को लेकर विभिन्न तबकों में चिंता जतायी जाती रही है। EPFO और एनपीएस के रोजगार के आंकड़े की आलोचना की जाती रही है क्योंकि यह केवल संगठित क्षेत्र में नौकरियों तक सीमित है। जबकि बहुत सारा काम असंगठित क्षेत्र में होता है। घोष ने कहा कि क्षेत्र को संगठित रूप देने की दर 10 प्रतिशत है। कुल नियमित रोजगार (regular employment) में नई नौकरी का अनुपात 50 प्रतिशत है। यह बताता है कि प्रत्येक दो रोजगार में एक नियमित नौकरी में नया जुड़ाव है। यह पिछले साल के वित्त वर्ष 2020-21 में 47 प्रतिशत था। यानी इसमें सुधार हुआ है।

 


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