MP Politics : मध्यप्रदेश में स्थानीय निकाय चुनावों की प्रणाली एक बार फिर बदल गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार ने कमलनाथ सरकार के दौरान लागू की गई अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली को खत्म करते हुए अध्यक्षों का चुनाव फिर से जनता के हाथ में सौंप दिया है। मंगलवार को विधानसभा में संशोधन विधेयक पर चर्चा के बाद इसे मंजूरी दे दी गई।
अब 2027 में होने वाले नगरीय निकाय चुनावों में नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष सीधे जनता द्वारा चुने जाएंगे। इससे पहले 2022 के चुनावों में पार्षद अध्यक्ष चुनते थे, जबकि मेयर का चुनाव जनता ने सीधे किया था।
अबतक की चुनावी प्रणाली
1994: मेयर और अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों द्वारा
1997: दिग्विजय सरकार ने प्रत्यक्ष चुनाव लागू किए
1999 से 2014: जनता ने सीधे मेयर और अध्यक्ष चुने
2019: कमलनाथ सरकार ने फिर अप्रत्यक्ष प्रणाली लागू की
2022: पार्षदों ने अध्यक्ष चुना, मेयर जनता ने
2025: मोहन सरकार ने निर्णय बदलकर फिर प्रत्यक्ष प्रणाली लागू की
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि राइट टू रिकॉल की समयसीमा ढाई साल से बढ़ाकर तीन साल कर दी गई है। यानी जनता तीन साल बाद ही अपने चुने हुए अध्यक्ष को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर सकेगी।
विधायक जयवर्धन सिंह की मांग
पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्होंने विधेयक का विरोध नहीं किया, बल्कि इसमें सुधार की मांग रखी है। उनका आरोप है कि यह बदलाव जनता की मूल सुविधाओं पानी, सड़क, बिजली—पर कोई असर नहीं डालेगा, बल्कि बीजेपी इसे चुनावी फायदा लेने के लिए इस्तेमाल करेगी। जयवर्धन सिंह ने यह भी कहा कि प्रत्यक्ष चुनाव से छोटे वर्ग के उम्मीदवारों के लिए अवसर कम हो जाएंगे और राजनीति में असमानता बढ़ेगी।