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कलर लैब संचालको का भी दस करोड़ का कारोबार प्रभावित

कलर लैब संचालको का भी दस करोड़ का कारोबार प्रभावित

रायपुर। लॉकडाउन के चलते शादियों के सीजन में इस बार न कोई शादी न कोई बारात का काम मिला। इसके चलते प्रदेश के दस हजार फोटोग्राफरों के हालात खराब हो गए हैं। दो माह में इन्हें 60 करोड़ की चपत लगी है। इसके सामने अब रोजी-रोटी चलाने का संकट खड़ा हो गया है। अब दीपावली के बाद ही शादी का सीजन वापस आने पर कुछ काम मिलेगा। इधर कलर लैब संचालकों का भी दस करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ है।

काेरोना के कहर के कारण हर तरफ हाहाकार मचा है। हर सेक्टर का काम इससे प्रभावित हुआ है। कोरोना के कारण ही इस बार अप्रैल में अक्षय तृतीया के दिन कोई शादी नहीं हुई। इस दिन शुभ मुहूर्त मानते हुए प्रदेश में बड़ी संख्या में शादियां होती हैं। इस बार अगर कोरोना के कारण लॉकडाउन नहीं होता तो दस हजार से ज्यादा शादियां तो इसी दिन हो जातीं। शादियों के न होने से कई सेक्टर प्रभावित हुए हैं। इसमें फोटोग्राफी का भी काम है। प्रदेश में पेशेवर करीब दस हजार फोटोग्राफर हैं। इनमें फोटो स्टूडियो चलाने वाले भी शामिल हैं। हालांकि आजकल स्टुडियो में ज्यादा काम नहीं रह गया है। कभी-कभार महज पासपोर्ट साइज फोटो खिंचाने वाले ही आते हैं। फोटो स्टूडियो के फोटोग्राफर भी आउटडोर का ही काम लेते हैं।

हर माह औसत 30 हजार का काम

फोटोग्राफी से जुड़े लोग बताते हैं, फोटोग्राफर हर माह 30 हजार से एक लाख तक का काम कर लेते हैं। ऐसे में यह माना जा सकता है कि औसत एक फोटोग्राफर को हर माह 30 हजार का काम मिल ही जाता है। ऐसे में प्रदेश के दस हजार फाेटोग्राफरों का एक माह में 30 करोड़ का काम होता है। दो माह में इनका 60 करोड़ का कारोबार प्रभावत हुआ है। फोटोग्राफर साफ कहते हैं, हमारे लिए शादियों का सीजन सबसे अहम होता है। बाकी समय तो ज्यादा काम नहीं मिलता। इस सीजन में कमाई करके चार माह घर का खर्च चलता है। इस बार कोई काम न मिलने के कारण अब घर का खर्च चलाने के लिए परेशानी हो रही है। इसी के साथ जिन फोटोग्राफरों ने ऋण लेकर नए कैमरे लिए हैं, उनको फाइनेंस कंपनी वाले ईएमआई के लिए लगातार परेशान कर रहे हैं। इनको केंद्र सरकार के उस आदेश से कोई मतलब नहीं है, जिसमें छह माह तक ईएमआई न लेने कहा गया है।

कलर लैब वाले भी संकट में

प्रदेश में कलर लैब का काम करने वाले करीब 70-80 कारोबारी हैं। रायपुर में सबसे ज्यादा लैब हैं। इसका भी हर माह पांच से छह लाख का काम हो जाता है। इनका दो माह में करीब दस करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ है। लैब संचालक कहते हैं, हमारा काम तो वैसे भी फोटोग्राफरों से चलता है। उनके सामने ज्यादा संकट है। लैब वालों ने भी लाखों की मशीनें लगा रखी हैं, जिनकी ईएमआई उनको देनी रहती है।

सरकार दे राहत पैकेज

छत्तीसगढ़ प्रदेश फाेटोग्राफी वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष शिव चंद्राकर का कहना है, सरकार मजदूरों की चिंता कर रही है, अच्छी बात है। इनके लिए राहत का पैकेज मांगा जा रहा है। फोटोग्राफरों को भी लॉकडाउन के दो माह के लिए हर माह 10 से 15 हजार के हिसाब से पैकेज देना चाहिए।


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