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छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष केआर पिस्दा सोमवार को हुए रिटायर, कार्यकाल पूरी तरह रहा निर्विवाद

छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष केआर पिस्दा सोमवार को हुए रिटायर, कार्यकाल पूरी तरह रहा निर्विवाद

रायपुर। छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष के रूप में तीन साल से अधिक कार्यकाल पूरा करने के बाद केआर पिस्दा सोमवार को रिटायर हो गए हैं। भारतीय प्रशासनिक सेवा के बाद पीएससी में आए पिस्दा का कार्यकाल पूरी तरह निर्विवाद रहा है। वे खुद भी मानते हैं कि उनका यह कार्यकाल शानदार रहा, लेकिन सेवा के आखिरी दिनों में कोरोना संकट के कारण उपजे लॉकडाउन से पीएससी के काम काफी हद तक प्रभावित रहे हैं। पिस्दा ने सेवानिवृत्ति से पहले जब हरिभूमि से बात की तो उनके शब्दों में यह दर्द भी उभरा।

छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक अधिकारी के रूप में रिटायरमेंट के एक साल पहले पिस्दा को तत्कालीन राज्य सरकार ने पीएससी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी। उन्हें जिस भरोसे से यह काम सौंपा गया था, उनका कार्यकाल समाप्त होने के एक दिन पहले तक यह तथ्य स्थापित भी हुआ कि वे इस पद के लिए भी खरे साबित हुए हैं।

भर्तियां भी कराई, फंसे प्रकरणों का निपटारा भी

पिस्दा ने बताया कि पीएससी में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने सभी नियमित परीक्षाओं का संचालन बेहतर तरीके से कराया था। यही नहीं, पीएससी को लेकर लंबे समय से चले आ रहे कई न्यायालयीन प्रकरणों का निपटारा कराने में भी वे सफल रहे। जो परीक्षाएं किसी न किसी विवाद या अदालती आदेश के कारण रुकी थीं, उन्हें समुचित प्रक्रिया के साथ पूरा कराया गया था।

लॉकडाउन के कारण काम हुआ प्रभावित

केआर पिस्दा ने बताया हैं कि उनके पूरे कार्यकाल के दौरान कभी भी किसी प्रकार की बाधा नहीं आई है। सारी परीक्षाएं निर्विवाद तरीके से पारदर्शी प्रक्रिया के तहत हुई है। भर्ती संबंधी कोई परीक्षा इन तीन साल में नहीं रुकी, लेकिन कोरोना संकट के कारण दो माह से अधिक समय के लॉकडाउन के कारण पीएससी का कामकाज सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। इस दौरान परीक्षाओं के आवेदन नहीं लिए जा सके, क्योंकि ऑनलाईन सिस्टम से आवेदन करने वाले केंद्र बंद रहे। इसी तरह परीक्षाओं का मूल्यांकन प्रभावित हुआ है। मूल्यांकन करने वाले लॉकडाउन के कारण नहीं आ सके। इसी लॉकडाउन की वजह से इंटरव्यू भी नहीं हो सके। इन सारे कारणों से पीएससी का जो कामकाज प्रभावित हुआ। उसकी परेशानी पिस्दा की बातों से उभरकर सामने आई।

पात्रता बने चयन का आधार

पीएससी में अपने कामकाज को तौर-तरीकों को लेकर पिस्दा ने कहा कि उनकी कोशिश रही कि परीक्षाओं में अधिक से अधिक परीक्षार्थियों की सहभागिता हो। इसके साथ ही इस बात पर विशेष ध्यान दिया गया कि पात्रता ही चयन का आधार हो। हमने कोशिश की है कि सभी परीक्षार्थियों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाए।

छोटी-छोटी शिकायतें आती हैं

छत्तीसगढ़ पीएससी में स्थापना काल से लेकर तीन साल पहले तक आए विवादों के बारे में पिस्दा ने कहा कि दरअसल पीएससी में छोटी-छोटी शिकायतें आती हैं। जैसे आयु संबंधी, आयु में छूट, पात्रता आदि, लेकिन मैंने अपने कार्यकाल में यह प्रयास किया कि इस प्रकार के विवाद कम से कम आएं। उन्होंने कहा, मैं कह सकता हूं कि पीएससी में मेरा कार्यकाल और उपलब्धियां अच्छी रहीं। मैं अपने इस कार्यकाल को लेकर पूरी तरह संतुष्ट हूं।


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