सड़क पर चलने वाली पेट्रोल और डीजल की गाड़ियां (Petrol and diesel vehicles) प्रदूषण (pollution) का सबसे बड़ा कारण है। इसी को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal) ने पश्चिम बंगाल को लेकर बड़ा फैसला लिया है। NGT ने पश्चिम बंगाल (West Bengal) में 15 साल से अधिक पुराने सभी वाहनों (old vehicles) का फेज आउट करने का निर्देश दिया है।
NGT ने जारी आदेश में कहा कि राज्य में चल रहे 15 साल से अधिक पूराने वाहनों को 6 महीने के भीतर चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा। साथ ही कहा, राज्य सरकार सुनिश्चित करें कि बीएस-4 (BS-IV) के अंतर्गत आने वाली 15 साल पुरानी गाड़ियां सड़कों पर दौड़ती नहीं दिखाई दें। एजीटी का यह आदेश पूरे पश्चिम बंगाल में लागू किया जाएगा। कोलकाता में एजेंसी की पीठ द्वारा NGT के पारित आदेश में कहा गया कि “पुराने वाहनों को चरणबद्ध तरीके से बंद करते हुए कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (CNG) बसों और इलेक्ट्रिक बसों की शुरुआत के साथ क्लीनर और हरित प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की दिशा में एक कदम बढ़ाया जा सकता है।”
आदेश का 1 करोड़ वाहनों पर पड़ेगा असर
साल 2019 में सामने आई एक अनुमानित रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल राज्य में 15 साल पुराने निजी वाहनों की संख्या 65 लाख से अधिक है। प्रदेश की राजधानी कोलकाता में ही 18,20,382 निजी वाहनों की चरणबद्ध तरीके से फेज आउट करने की जरुरत है। राज्य में चलने वाली 6,97,635 और कोलकाता की 2,19,137 कमर्शियल वाहनों को फेज आउट करने की जरुरत है।
प्रदूषण के मामले में कोलकाता काफी आगे
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता और हावड़ा में सड़क पर चलने वाले पूराने वाहन लगातार बढ़ते प्रदूषण का प्रमुख कारण है। हालाकि यहां प्रदूषण को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक और सीएनजी वाहनों को बढ़ावा दिया गया लेकिन उसके बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है। राज्य सरकार ने कोलकाता में 1200 इलेक्ट्रिक बसों को चलाने की योजना भी बनाई है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी ने बताया कि कोलकाता में प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों से, पीएम 2.5 प्रदूषण (बहुत छोटे कण) का लगभग 25 प्रतिशत और 10 पीएम प्रदूषण (मोटे कण) का 10 प्रतिशत आते हैं।