दिग्विजय सिंह : मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव का माहौल अपने चरम पर हैं। राजनैतिक दलों के नेता एक दूसरे पर कटाक्ष करने में नहीं चूक रहे है। नेताओं के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है। प्रदेश की सबसे हॉट सीट राजगढ़ सीट बनी हुई है, क्योंकि इस सीट से प्रदेश कांग्रेस के सबसे सीनियर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह चुनावी मैदान में है। हालांकि प्रत्याशियों की घोषणा होने से पहले वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे, लेकिन आखिरी समय में पार्टी ने उन्हें राजगढ़ लोकसभा सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिया, वही दिग्विजय सिंह ने आलाकमान के आदेश को स्वीकारते हुए चुनाव प्रचार में जुट गए।
दिग्विजय सिंह 33 साल बाद राजगढ़ लोकसभा से चुनाव लड़ रहे है। वे इस सीट से पहले भी सांसद रहे है। लोकसभा के रण में दिग्वियज सिंह पदयात्रा के साथ साथ लोकसभा क्षेत्रों में आने वाले गांवों में यह कहकर वोट करने की भावुक अपील कर रहे थे कि यह चुनाव उनका आखिरी चुनाव है। चुनावी अभियान के बीच दिग्विजय सिंह से एक बुजुर्ग ने मुलाकात की तो उन्हें बहुत पहले बुजुर्ग द्वारा दी गई एक सीख याद आ गई। दिग्वियज सिंह ने बुजुर्ग की सीख को सोशल मीडिया पर शेयर की।
दिग्गी को आई 12 खड़ी याद
दरअसल, दिग्विजय सिंह के पिता के निधन के बाद उनसे मिलने एक बुजुर्ग आया था। जिसको लेकर दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया अकाउंट पर खिला है कि 'मैं जब मेरे पिता जी के देहांत के बाद इंजीनियरिंग की डिग्री ले कर राघोगढ़ आ कर रहने लगा, तब मुझे राघोगढ़ के बुजुर्ग नगर सेठ श्री कस्तूरचंद जी कठारी मिलने आए। तब उन्होंने मुझे एक सीख दी थी।'
एक्स पोस्ट पर उन्होंने आगे लिखा कि उन्होंने कहा “राजा साहब हर व्यक्ति के जीवन का लक्ष्य हिंदी की 12 खड़ी के अनुसार होता है। ‘क’ से कमाओ- इतना कमाओ कि आपके परिवार को कमा कर ‘ख’ से खिला सके। ‘ग’ से गहना - जो बचत हो उससे गहना बनाओ। ‘घ’ से घर - गहना ख़रीद कर बचत से घर बनाओ। ‘ङ’ से नाम- घर बनाने के बाद अगर बचत हो तो नाम कमाओ।
उन्होंने कहा आप भाग्यशाली हो आपको खाने की कमी नहीं गहनों की कमी घर की कमी नहीं बस अब ‘आप नाम कमाओ’। मैंने अपने ५० वर्षों के राजनैतिक जीवन में बस यही करने का प्रयास किया है। उसमें मैं कितना सफल हुआ इसका आँकलन मैं स्वयं नहीं कर सकता केवल आम लोग ही कर सकते हैं। यह मेरे जीवन का आख़री चुनाव है और आप यह तय करेंगे कि मैं इसमें कितना सफल हुआ। धन्यवाद दिग्विजय