केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने नए संसद भवन में लोकसभा में मंगलवार को महिला आरक्षण बिल पेश किया। जिसकी चर्चा पुरे देश में हो रही है...
क्या है महिला आरक्षण बिल ? और आखिर क्यों इसे लेकर पक्ष और विपक्ष में घमासान छिड़ा हुआ है | आइए आसन भाषा में इस विधेयक के प्रावधानों को समझते है
महिला आरक्षण बिल के तहत लोकसभा-राज्यसभा के साथ साथ राज्यों की विधानसभा में महिलाओं को 33 फीसद आरक्षण मिलेगा। यानी कि महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित होंगी।
इसे 128वें संविधान संशोधन विधेयक के तहत पेश किया गया है। अगर ये बिल पारित हो जाता है तों 181 महिला सांसद चुनकर आएंगी, फिलहाल सदन में महिला सदस्यों की संख्या 82 है। इस विधेयक के तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आवंटित सीटों में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित होंगी |
महिला आरक्षण बिल पिछले 27 वर्षों से लटका हुआ है। इसे पहली बार 12 सितंबर 1996 को एचडी देवगौड़ा की सरकार ने पेश किया था। हालांकि, उस वक्त ये बिल पास नहीं हो सका था। इसके बाद भी तमाम सरकारों ने इसे कानून का रूप देने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए।
19 सितंबर 2023 को एकबार फिर मोदी सरकार ने ये बिल लोकसभा में पेश किया है | जिसके बाद से ही पक्ष और विपक्ष में जमकर विवाद छिड़ा हुआ है | भाजपा और कांग्रेस के बीच महिला आरक्षण बिल का श्रेय लेने की होड़ मची है | प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने नीति-निर्माण में महिलाओं को अधिक शामिल करने का आह्वान किया और कहा कि महिला आरक्षण विधेयक पेश होने के कारण 19 सितंबर 'अमर' होने जा रहा है. कांग्रेस सहित विपक्ष ने कहा कि विधेयक भाजपा सरकार का एक 'जुमला' था और कहा कि यह भारतीय महिलाओं के साथ 'बहुत बड़ा विश्वासघात' है। इस पर बीजेपी ने जवाब दिया कि कांग्रेस लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण देने को लेकर कभी गंभीर नहीं रही.केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि दुख की बात है कि विपक्ष इसे पचा नहीं पा रहा है। इससे भी अधिक शर्मनाक बात यह है कि दिखावे के अलावा कांग्रेस कभी भी महिला आरक्षण को लेकर गंभीर नहीं रही.
भाजपा इस बिल से महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलने का दावा कर रही है | तों वहीं विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने विरोध जताते हुए कहा कि ज्यादातर राजनीतिक दल कमजोर वर्ग की महिलाओं को टिकट नहीं देते हैं। उन्होंने पीएम मोदी पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि उनकी सरकार के तहत संघीय ढांचा 'कमजोर' हो गया है. खरगे ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों द्वारा कमजोर वर्ग की ऐसी महिलाओं को टिकट दिया जाता है कि उन्हें मुंह न खोलना पड़े. देश की सभी पार्टियों में ऐसा ही है और इसीलिए महिलाएं पिछड़ रही हैं.