MP Nigam Mandal : मध्यप्रदेश की राजनीति में एक बार फिर से निगम-मंडलों की नियुक्तियों को लेकर हलचल शुरू हो गई है। प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में सरकार को कार्यभार संभाले करीब डेढ़ साल हो चुका है, लेकिन अब तक निगम-मंडलों और सहायक संस्थाओं में नए चेहरों को नियुक्त नहीं किया गया है। हालांकि अब यह संकेत मिल रहे हैं कि जल्द ही इन नियुक्तियों पर अंतिम मुहर लग सकती है।
दावेदारों की बढ़ी सक्रियता!
प्रदेश में जैसे ही यह खबर सामने आई कि सरकार निगम और मंडल में नियुक्तियों की तैयारी कर रही है, वैसे ही इस दिशा में नेताओं की सक्रियता बढ़ गई है। लंबे समय से इन पदों की प्रतीक्षा कर रहे भाजपा नेता एक बार फिर राजधानी भोपाल में डेरा डालने लगे हैं। साथ ही, वे नेता जो विधानसभा और लोकसभा चुनावों में टिकट की दौड़ में पीछे रह गए थे या जो कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए थे, वे भी खुद को योग्य उम्मीदवार के रूप में पेश कर रहे हैं।
जून में होंगी नियुक्तियां!
मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने गठन के बाद पिछली सरकार द्वारा की गई सभी निगम-मंडल नियुक्तियों को निरस्त कर दिया था। इसके बाद से यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। लेकिन अब बताया जा रहा है कि सरकारी कर्मचारियों के स्थानांतरण की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद राजनीतिक नियुक्तियों का सिलसिला शुरू किया जाएगा। इस क्रम में जून के पहले सप्ताह से नियुक्तियों की औपचारिक घोषणा संभव मानी जा रही है।
सूची तैयार, सहमति का इंतजार?
सूत्रों के अनुसार, इस मुद्दे पर भाजपा नेतृत्व की कई बैठकें भोपाल में पहले ही हो चुकी हैं। इसके अलावा पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से भी इस विषय पर चर्चा की जा चुकी है। उम्मीद जताई जा रही है कि मुख्यमंत्री जल्द ही दिल्ली जाकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात करेंगे और इस पर अंतिम सहमति बनाई जाएगी। इन नियुक्तियों में निगम-मंडलों के साथ-साथ सहकारी संस्थाओं और मंडी बोर्ड जैसी महत्वपूर्ण इकाइयों में भी नाम तय किए जाएंगे। इन संस्थानों के प्रमुखों को अक्सर राज्यमंत्री या कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाता है, जिससे इन पदों की राजनीतिक अहमियत और बढ़ जाती है। यही वजह है कि सत्ता के कई इच्छुक नेता इन पदों को पाने के लिए पूरी कोशिश में लगे हैं।
इन्हें मिलेगी प्राथमिकता!
विशेष रूप से वे नेता, जो विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान टिकट की दौड़ में थे पर चयन नहीं हो पाया, या जिन्होंने चुनाव के पूर्व कांग्रेस को छोड़ भाजपा का दामन थामा था, उन्हें प्राथमिकता मिलने की संभावना है। इसके अलावा संगठन में वर्षों से काम कर रहे कार्यकर्ताओं को भी इस प्रक्रिया में स्थान मिलने की उम्मीद की जा रही है। निगम-मंडलों में नियुक्तियों को लेकर इस बार संगठन और सरकार दोनों स्तर पर गंभीरता से मंथन किया जा रहा है, ताकि सभी वर्गों और क्षेत्रों का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके। राजनीतिक दृष्टिकोण से भी यह कदम भाजपा के लिए आगामी चुनावों में मजबूत रणनीति का हिस्सा बन सकता है।