Ladli Behna Yojana: मध्यप्रदेश सरकार की चर्चित और जनहितैषी लाड़ली बहना योजना को लेकर एक अहम जानकारी सामने आई है, जो लाखों महिलाओं की उम्मीदों पर फिलहाल पानी फेरती नजर आ रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई महिला एवं बाल विकास विभाग की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में इस योजना में नए नाम जोड़ने को लेकर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। इस बैठक से पहले कयास लगाए जा रहे थे कि सरकार उन महिलाओं को राहत दे सकती है, जो अब तक योजना से वंचित हैं या जिनके नाम किसी कारणवश सूची से हटाए जा चुके हैं।
वर्तमान में कितनी महिलाएं ले रहीं लाभ?
इस समय प्रदेश की करीब 1 करोड़ 27 लाख महिलाएं इस योजना से प्रतिमाह 1250 रूपये की आर्थिक सहायता प्राप्त कर रही हैं। योजना की शुरुआत महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए की गई थी, और इसकी लोकप्रियता राज्य के हर कोने में फैल चुकी है। परंतु, पिछले दो वर्षों में विभिन्न कारणों से करीब दो लाख महिलाओं के नाम योजना से बाहर कर दिए गए हैं। इनमें से अधिकतर मामलों में पात्रता से जुड़ी तकनीकी अड़चनें या दस्तावेजों की त्रुटियां सामने आई हैं।
नई महिलाओं को अभी नहीं मिलेगा मौका
समीक्षा बैठक से पहले यह उम्मीद जताई जा रही थी कि सरकार नई पात्र महिलाओं को योजना में शामिल करने की दिशा में ठोस कदम उठाएगी। लेकिन इस विषय पर बैठक में कोई चर्चा नहीं हुई। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस मुद्दे पर आगामी समय में निर्णय लेने की बात कहकर फिलहाल इस पर विराम लगा दिया है। इसका अर्थ है कि निकट भविष्य में योजना में नए नाम जोड़ने की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना कम ही है।
अन्य योजनाओं पर जोर
हालांकि, बैठक में वर्किंग वूमेन हॉस्टल और मिशन शक्ति जैसी अन्य महिला-कल्याण योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया गया। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि सभी प्रमुख शहरी क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं के लिए सुरक्षित और सुलभ हॉस्टल सुविधा सुनिश्चित की जाए। विशेष रूप से ऐसे औद्योगिक क्षेत्रों में, जहां महिला श्रमिकों की संख्या अधिक है, वहां ‘सखी निवास’ जैसे संस्थानों की संख्या बढ़ाई जाएगी ताकि महिलाएं कार्यस्थल के पास ही सुरक्षित आवास पा सकें।
आंगनबाड़ियों को मिलेगा नया ढांचा
इसके अतिरिक्त, बैठक में आंगनबाड़ी केंद्रों को लेकर भी निर्णय लिए गए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि जल्द से जल्द सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को सरकारी भवनों में स्थानांतरित किया जाए, जिससे बच्चों और महिलाओं को बेहतर सुविधाएं मिल सकें और विभागीय कार्यवाही अधिक सुचारू रूप से संचालित हो सके।