52 Shaktipeeths 6 devipatan Shaktipeeth: भारत के 52 शक्तिपीठों में से एक विशेष स्थान भारत-नेपाल सीमा से सटे उप्र के बलरामपुर जिला स्थित पाटन गांव में हैं। जो मां पाटेश्वरी का देवीपाटन शक्तिपीठ है। ये मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। इसके साथ ही इस जगह की कई पौराणिक मान्यताएं भी है। कहते है कि इस स्थान पर माता सती का वस्त्र समेत वाम स्कंध (बायां कंधा) गिरा था। यही वजह है ये स्थान देवीपाटन के नाम से भी भी काफी प्रशिद्ध है, इसका उल्लेखित श्लोक इस पुराणों में भी मिलता है।
यहां स्थित हैं मंदिर:
देवी पाटन मंदिर (उत्तर प्रदेश) के बलरामपुर जिले के पाटन गांव में स्थित है, यहां पर पर माता सती के बायां कंधा गिरा था, जिस वजह से इसे मंदिर को 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है और यहां मातेश्वरी देवीपाटन के रूप में विराजमान हैं। ये मंदिर भारत और नेपाल सीमा के पास स्थित है।
श्रद्धालुओं की आस्था केंद्र:
ये मंदिर सीरिया नदी के तट पर स्थित है जहां पर दर्शन करने हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। खासकर यहाँ का वातावरण नवरात्रि में पूरी तरह भक्तिमय हो उठता है।श्रद्धालु यहां पर नारियल, चुनरी, सिन्दूर, दीप और रोट चढ़ाकर माँ पाटेश्वरी से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करते हैं। ऐसे मान्यता है कि यहाँ गुरु गोरक्षनाथ ने साधना कर एक अखण्ड दीप प्रज्वलित किया था, जो गर्भगृह में आज भी निरंतर जल रही है। साथ ही अखण्ड धूनी बाबा भैरवनाथ मंदिर में जलाई गई जो अब भी श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन गया है।
माता का रूप:
देवीपाटन मंदिर धार्मिक स्थल होने के साथ योग, साधना, परंपरा और संस्कृति का जीवंत प्रतीक है। ये स्थान सदियों से कई ऋषि-मुनियों की तपो भूमि माना जाता है यहाँ आने वाले श्रद्धालु आज भी आत्मिक शांति का अनुभव करते हैं। मंदिर में देवी को देवी पाटन या मां पाटेश्वरी के रूप में पूजा जाता है। यहां के गर्भगृह में माता की किसी भी तरह की कोई मूर्ति स्थापित नहीं है, इसके स्थान पर एक चांदी जड़ित गोल चबूतरा बना है, जिसमें दुर्गा सप्तशती के श्लोक खिला हुआ हैं। और एक अखंड ज्योति है, जो 24 घंटों जलता रहता है जो यहां वाले श्रद्धालुओं के लिए एक आस्था का प्रतीक है।