भोपाल। कुछ महीने पहले केंद्र सरकार ने कोचिंग संस्थानों को लेकर एक आदेश जारी किया था। जिसमे 16 से कम उम्र के विद्यार्थिओं के कोचिंग संस्थान में प्रवेश पर रोक लगाया गया था। साथ ही गाइडलाइंस भी जारी किया गया था। अब शिक्षा मंत्रालय ने मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर कोचिंग गाइडलाइन का पालन करने के लिए निर्देश दिए है।
प्रसाशन के द्वारा लिए गए इस फैसले के पीछे एक बड़ी वजह है। दरअसल कुछ समय से लगातार विद्यार्थियों के आत्महत्या की खबरें आ रही थी। इसी के मद्देनजर केंद्र सरकार ने कोचिंग संस्थान में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। वहीं केंद्र सरकार के गाइडलाइन के मुताबिक अब मध्य प्रदेश शासन के अंतर्गत उच्च शिक्षा विभाग ने राज्य के अंतर्गत इस गाइलडलाइन लागू कर दिया है।
* सरकार की गाइडलाइंस
- कोई भी कोचिंग सेंटर ऐसे ट्यूटर को नहीं रखेगा, जिनकी क्वालिफिकेशन ग्रेजुएशन से कम हो।
- कोचिंग सेंटर माता-पिता/छात्रों को एडमिशन के लिए भ्रामक वादे या रैंक या अच्छे नंबर लाने की गारंटी नहीं देंगे।
- 16 वर्ष से कम की आयु वाले छात्रों का एडमिशन नहीं करेंगे. उनका एडमिशन 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद ही किया जाएगा।
- हर कोर्स की ट्यूशन फीस फिक्स होगी. बीच में फीस नहीं बढ़ाई जाएगी, साथ ही इसकी रसीद देनी होगी।
- तय समय से पहले कोर्स छोड़ने पर 10 दिन में बची फीस वापस करनी होगी।
- अगर स्टूडेंट्स हॉस्टल में रह रहे हैं, तो हॉस्टल फीस और मेस फीस भी लौटानी होगी।
- कोचिंग की वेबसाइट पर फैकल्टी की एलिजिबिलिटी और कोर्स पूरा होने की अवधि बतानी होगी।
- हॉस्टल की सुविधा, फीस और मेस की पूरी जानकारी देनी होगी।
- बच्चों की मेंटल हेल्थ का ध्यान रखना होगा. साथ ही उनके ऊपर अच्छा परफॉर्म करने का प्रेशर नहीं बनाया जाएगा।
- स्टूडेंट्स अगर किसी परेशानी में हो, तो मदद के लिए सिस्टम बनाना होगा।
- कोचिंग सेंटर्स में साइकोलॉजिकल काउंसलिंग के लिए प्रॉपर चैनल हो. साइकोलॉजिस्ट, काउंसलर के नाम और वर्किंग टाइम की जानकारी पेरेंट्स को देनी होगी।
- ट्यूटर भी स्टूडेंट्स को गाइडेंस देने के लिए मेंटल हेल्थ के टॉपिक्स पर ट्रेनिंग ले सकते हैं।