भोपाल। स्वीमिंग पूल और वाटर पार्क में पिछले तीन दिन में दो मासूमों की मौत के बाद राजधानी के विभिन्न क्षेत्रों में जांच पड़ताल की गई तो 147 ऐसे स्वीमिंग पूल मिले, जहां लाइफ जैकेट और सुरक्षा की बात तो दूर इनकी देखभाल करने वाला तक भी कोई नहीं। वहीं नई बन रही कवर्ड कैंपस कॉलोनियों में दिखावे के पूल बनाए जा रहे हैं। वहीं मेरिज गार्डन में भी निजी स्वीमिंग पूल बिना लाइफ जैकेट और सुरक्षा के फोटो सेशन के लिए चल रहे हैं।
हर साल गर्मियों में राजधानी में 48 हजार लोग आवेदन करते हैं, लेकिन अधिकृत तीन ही स्वीमिंग पूल होने से 25 हजार से ज्यादा लोग दूसरे पूल में अपना शौक पूरा कर रहे हैं। 48 हजार लोगों में 13 हजार महिलाएं हैं। अधिकृत स्वीमिंग पूल में भेल सीनियर क्लब, कल्पना नगर का पुरुषोत्तम गौर स्वीमिंग पूल, सेकेंड स्टाप पर प्रकाश तरण पुष्कर, विट्टन मार्केट में अर्जुन तरुण पुष्कर, कोहेफिजा तरण पुष्कर शामिल हैं।
एक कोहेफिजा तरण पुष्कर काफी समय से बंद है। जबकि भेल, प्रकाश तरण पुष्कर, अर्जुन तरण पुष्कर, मेट्रो पार्क व पुरुषोत्तम गौर स्वीमिंग पूल कल्पना नगर में प्रवेश के लिए लंबी कतार है। यहां पर लाइफ जैकेट अनिवार्य होने के साथ ही सुरक्षा के व्यापक इंतजाम हैं, लेकिन अन्य स्थानों पर लाइफ जैकेट और सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। करोंद स्थित एक मॉल में वाटर पार्क में सही जानकारी देने के लिए भी कोई प्रबंधक मौजूद न्हीं था। वहीं होशंगाबाद रोड और कोलार के वाटर पार्क में भीड़ तो काफी थी, लेकिन लोग बिना लाइफ जैकेट के ही स्वीमिंग पूल में दिखाई दिए।
निगम आयुक्त के अनुसार जांच की जा रही है
नगर निगम बिल्डिंग परमिशन के द्वारा अनुमति दी जाती है। इसलिए अधिकारियों से कहा गया है कि वो उस नियम के बारे में जानकारी दें, जिसके तहत दुर्घटना वाले स्वीमिंग पूल या वाटर पार्क के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।
हरेंद्र नारायण, आयुक्त, नगर निगम भोपाल
बिना लाइफ जैकेट के प्रवेश ही नहीं
पुरषोत्तम गौर तरण पुष्कर के प्रबंधक ब्रजभान सिंह धाकड़ के अनुसार किसी भी तैराक या सीखने वालों को बिना सुरक्षा कवच और लाइफ जैकेट के प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। कई प्रभावशाली लोग प्रवेश की कोशिश करते हैं, लेकिन उन्हें भी प्रवेश नहीं करने दिया जाता है।
बिल्डिंग परमिशन देते हैं
नगर निगम अधिकारियों के अनुसार राजधानी के मेरिज गार्डन या हॉल के अलावा कॉलानियों और सार्वजनिक स्थान में स्वीमिंग पूल और वाटर पार्क बनाने की अनुमति बिल्डिंग परमिशन विभाग से दी जाती है। किसी प्रकार की घटना या दुर्घटना के बाद जांच पुलिस के द्वारा की जाती है, जबकि लोगों का कहना है कि लाइसेंस निरस्त का प्रावधान होना चाहिए।
ज्यादा पूल पीडब्ल्यूडी की देखरेख में
राजधानी में प्रकाश तरण पुष्कर, मेट्रो पार्क, विट्टन मार्केट सहित सबसे ज्यादा स्वीमिंग पूल पीडब्ल्यूडी की देखरेख में चल रहे हैं, लेकिन वहां के अधिकारियों का कहना है कि सिर्फ मेंटेनेंस का काम विभाग देखता है।
बड़े तालाब में भी बच्चे लगा रहे छलांग
शीतलदास की बगिया में नगर निगम के द्वारा तैनात किए गोताखोर शेख आसिफ के अनुसार तालाब में तैराकी पूरी तरह से मना है, लेकिन बच्चे छिपकर छलांग लगा देते हैं। इन्हें रोकने के लिए काफी प्रयास करना पड़ता है। इसके बाद भी सुबह से शाम तक करीब 40 से 50 बच्चे तैरते रहते हैं। वहीं सोमवार को जब देखा गया तो शीतलदास की बगिया समेत आसपास के घाटों पर बच्चे तैराकी करते मिले हैं।