भोपाल। देश का ऐसा पहला शहर होगा जहां एक नहीं,चार-चार मदर मिल्क बैंक होंगे। जेपी के बाद हमीदिया व काटजू अस्पताल में इस बैंक की शुरुआत हो गई है। जुलाई से एम्स में भी मदर मिल्क बैंक शुरू हो जाएगा। मदर मिल्क बैंक की खासियत यह है कि यहां मां के दूध को छह माह तक ताजा रखा जा सकेगा। इन मिल्क बैंकों में माताएं अपना दूध भी दान कर सकेंगी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत भोपाल व इंदौर में ह्यूमन मिल्क बैंक खोलने की योजना बनी थी। लेकिन जेपी और काटजू में ही इसकी शुरुआत हो सकी। मिल्क बैंक में पाश्चराइजेशन यूनिट,डीप फ्रीज, आरअो प्लांट जैसे संसाधनों से 6 महीने तक मां का दूध सुरक्षित रहेगा।
अभी काटजू में अब लेक्टेशन मैनेजमेंट यूनिट तैयार की गई है। यह यूनिट अस्पताल में भर्ती बीमार बच्चों को उनकी मां का दूध उपलब्ध कराने का कार्य करेगी। मदर मिल्क बैंक जिसे मेडिकल भाषा में कामप्रेहेंसिव लेक्टेशन मैनेजमेंट सेंटर (सीएलएमसी) कहा जाता है। यह सुविधा सिर्फ मेडिकल कालेजों और डिस्टि्रक्ट अस्पताल में ही शुरू की जाती है। इसके अलावा एक साल में 10 हजार से अधिक बच्चों का जन्म होना भी जरूरी होता है।
जुलाई में शुरू हो जाएगा मदर मिल्क बैंक
एम्स के डायरेक्टर डॉ. अजय सिंह के अनुसार एम्स में मरीजों की सुविधाओं के लिए लगातार मशीनों व दवाईयों की व्यवस्थाएं की जा रही हैं। यहां अत्याधुनिक सुविधाएं व संसाधनों में इजाफा किया जा रहा है। इसी कड़ी में अब मदर मिल्क बैंक स्थापित किया जा रहा है।
क्या है मदर मिल्क बैंक
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मानव दूध बैंक उन शिशुओं के लिए महत्वपूर्ण है। मानव दूध शिशु मां के दूध के बाद सबसे बेहतर आहार है। मां के दूध में शिशुओं के लिए जरूरी पोषक तत्व और एंटीबॉडी होते हैं। शिशुओं को कम से कम छह महीने तक स्तनपान कराया जाना चाहिए।
फैक्ट फाइल
अप्रैल 2022-मार्च 2023 के आंकड़ों के अनुसार जेपी मिल्क बैंक में नर्सिंग स्टाफ ने 3824 मरीजो को सेवाएं दी।
इनमें से 157 माताओं ने दूध दान किया। एक साल में कुल जिसमें 304 लीटर दूध संग्रहित हुआ।
एसएनसीयू में भर्ती नवजात शिशुओं को 239 लीटर दूध प्रदाय किया गया, काउंसलिंग सहित अन्य सुविधाएं भी दी गईं
मदर मिल्क बैंक यूनिट की शुरू होने के साथ काउंसलिंग और अन्य सुविधाएं शुरू कर दी गई हैं।
कर्नल प्रवीण सिंह,
अधीक्षक, काटजू अस्पताल