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Sanchar Saathi App: संचार साथी ऐप पर सियासी भूचाल: विपक्ष के 'जासूसी ऐप' वाले आरोपों के बीच केंद्र ने दी सफाई...

Sanchar Saathi App: संचार साथी ऐप पर सियासी भूचाल: विपक्ष के 'जासूसी ऐप' वाले आरोपों के बीच केंद्र ने दी सफाई...

Sanchar Saathi App: भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा सभी नए मोबाइल फोनों में संचार साथी ऐप को अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल करने का निर्देश जारी होते ही राष्ट्रीय राजनीति में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। नियम के अनुसार, यह ऐप भारत में तैयार या आयात होने वाले हर नए स्मार्टफोन में पहले से मौजूद रहेगा और आम उपयोगकर्ता इसे अनइंस्टॉल नहीं कर सकेगा। विपक्ष का कहना है कि यह कदम नागरिकों की निजी स्वतंत्रता और गोपनीयता पर गहरी चोट है।

कांग्रेस का तीखा हमला: “यह ऐप नहीं, निगरानी का औजार”

कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने इस आदेश को “तानाशाही का टूल” बताते हुए कड़ी आपत्ति दर्ज करवाई। उन्होंने कहा कि एक ऐसा सरकारी ऐप जिसे हटाया नहीं जा सकता, नागरिकों की गतिविधियों पर नज़र रखने का माध्यम बन सकता है।

वेणुगोपाल ने सोशल पोस्ट में लिखा— “प्री-लोडेड ऐप को अनइंस्टॉल न कर पाना लोकतंत्र पर हमला है। यह निगरानी का उपकरण है और इसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जाएगा।” उन्होंने केंद्र से यह आदेश तुरंत वापस लेने की मांग की और आरोप लगाया कि सरकार ‘बिग ब्रदर’ की भूमिका निभाते हुए जनता की निजी ज़िंदगी में दखल दे रही है।

प्रियंका गांधी के गंभीर आरोप: “देश को तानाशाही की ओर धकेला जा रहा”

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी सरकार पर तीखे प्रहार किए।
उन्होंने संचार साथी को “जासूसी ऐप” करार दिया और कहा कि यह नागरिकों की निजता का उल्लंघन है। प्रियंका गांधी ने मीडिया से कहा— “नागरिकों को निजी बातचीत का अधिकार है। सरकार को किसी के परिवार या दोस्तों को भेजे संदेशों पर नज़र रखने का हक नहीं है।”

उन्होंने आगे आरोप लगाया कि— “यह केवल फोन पर झांकने का मामला नहीं है… सरकार देश को हर स्तर पर तानाशाही की ओर ले जा रही है। संसद ठप है क्योंकि वे किसी विषय पर चर्चा ही नहीं होने दे रहे।” प्रियंका गांधी ने यह भी कहा कि साइबर सुरक्षा ज़रूरी है, लेकिन वह बहाना बनाकर “हर नागरिक के फोन में घुसने का अधिकार” नहीं दिया जा सकता।

कांग्रेस सांसद का सवाल: “सुरक्षा और निगरानी के बीच बहुत पतली रेखा”

कांग्रेस की लोकसभा सदस्य प्रियंका गांधी ने आगे कहा कि धोखाधड़ी से बचाने की व्यवस्था होना अच्छी बात है, लेकिन इसे व्यापक निगरानी का माध्यम नहीं बनाया जा सकता।

उन्होंने कहा— “साइबर सुरक्षा ज़रूरी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सरकार हर नागरिक के फोन तक पहुंच बना ले। मुझे नहीं लगता कि देश का कोई भी नागरिक इस आदेश से खुश होगा।”

केंद्रीय मंत्री सिंधिया की सफाई: “न निगरानी होगी, न कॉल मॉनिटरिंग”

लगातार बढ़ते विवाद पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सामने आकर सफाई दी। उन्होंने कहा कि संचार साथी ऐप न तो जासूसी करता है और न ही किसी की कॉल या चैट की निगरानी कर सकता है।

सिंधिया ने स्पष्ट किया— “ऐप का उपयोग पूरी तरह वैकल्पिक है। कोई चाहे तो इसे एक्टिवेट कर सकता है, और चाहें तो फोन से हटाना भी संभव है। सरकार किसी भी नागरिक की जासूसी नहीं कर रही।”

उन्होंने कहा कि इस ऐप का उद्देश्य केवल नागरिकों को ऑनलाइन धोखाधड़ी, फ्रॉड और साइबर अपराध से बचाना है। सरकार की भूमिका सिर्फ ऐप को लोगों तक पहुंचाने तक सीमित है।

सरकार का तर्क: डिजिटल सुरक्षा और शिकायत तंत्र को मजबूत करने का प्रयास

DoT के आदेश के मुताबिक, मोबाइल कंपनियों को इसे लागू करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है। Apple, Samsung, Xiaomi, Vivo और Oppo जैसी सभी प्रमुख कंपनियों को अपने नए मॉडलों में यह ऐप अनिवार्य रूप से शामिल करना होगा।

सरकारी अधिकारियों का कहना है कि संचार साथी ऐप के माध्यम से— स्पैम कॉल की शिकायत, धोखाधड़ी की रिपोर्ट, मोबाइल चोरी की जानकारी, अनचाहे नंबरों की रिपोर्ट, जैसी सुविधाएँ एक ही प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होंगी। इससे डिजिटल सुरक्षा प्रणाली संगठित और मजबूत होने की उम्मीद है।

SIM-बाइंडिंग नियम से जुड़ा बड़ा बदलाव: मैसेजिंग ऐप्स पर भी कसेगी लगाम

यह विवाद उस हालिया आदेश से भी जुड़ा है, जिसमें DoT ने WhatsApp, Telegram और Signal जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स को SIM-बाइंडिंग लागू करने के लिए कहा है।

नए नियम के तहत ऐप केवल उसी सिम पर चलेगा जिससे रजिस्टर किया गया हैWhatsApp Web और लिंक्ड सर्विसेज समय-समय पर स्वतः लॉगआउट होंगी फर्जी सिम और धोखाधड़ी में इस्तेमाल होने वाले अकाउंट पर रोक लगेगी सरकार का कहना है कि इससे ऑनलाइन फ्रॉड और अवैध गतिविधियों पर प्रभावी नियंत्रण मिलेगा।


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