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CG FROUD MURDER CASE : 10 महीने पुरानी मारपीट के शिकायत पर बना दिया युवक के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला

CG FROUD MURDER CASE : 10 महीने पुरानी मारपीट के शिकायत पर बना दिया युवक के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला

BILASPUR : छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर में सरकंडा निवासी आशा सिंह के अनुसार उनके बेटे शक्ति सिंह के खिलाफ जनवरी माह में उत्कर्ष दुबे ने सिविल लाइन थाने में मारपीट की शिकायत की थी, जिस पर पुलिस ने मारपीट का मामला दर्ज किया था।

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अचानक 10 माह बाद पुलिस उनके बेटे को घर से थाने ले गई। इस मामले ने आशा सिंह ने उसे बताया गया कि उसके खिलाफ हत्या के प्रयास का केस दर्ज किया गया है, जिसके चलते उसे हिरासत में लिया गया है। उस समय युवक की माँ आशा सिंह बाहर तीर्थ यात्रा पर थीं। उनके लौटने के बाद उन्होंने पूरीमामले की तह तक गयी, तजिसके बाद पीड़ित पक्ष और पुलिस का कारनामा सामने आया। आशा सिंह ने बताया कि उन्होंने जब पुलिस से मारपीट के पुराने केस में धारा 307 जोड़ने की जानकारी ली, तब पता चला कि डॉक्टरों की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने कार्रवाई की है। क्वेरी रिपोर्ट में डॉक्टरों ने घायल उत्कर्ष दुबे को गंभीर चोट आने का जिक्र किया है। तब उन्होंने क्वेरी रिपोर्ट भेजने वाले स्काई अस्पताल के डॉक्टर नरेश कृष्णनानी और डॉक्टर राजीव सकूजा से जानकारी ली। इस दौरान डॉक्टरों ने इस तरह की कोई क्वेरी रिपोर्ट बनाने और पुलिस को देने से इंकार किया। तब इस फर्जीवाड़ा का राज खुला। आशा सिंह ने इस मामले में प्रार्थी उत्कर्ष दुबे सहित 4 लोगों के ऊपर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सिविल लाइन पुलिस और जांच अधिकारी ने पीड़ित पक्ष के साथ मिलकर उनके बेटे को झूठा फंसाया है।

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उन्होंने सवाल करते हुए कहा है कि जब सिविल लाइन पुलिस ने घायल उत्कर्ष दुबे का मेडिकल कराया, तब जिला अस्पताल के डॉ. प्रशांत गुप्ता ने साधारण चोंट बताया था। साथ ही उन्होंने एक्स-रे कराने की सलाह दी थी। लेकिन, उस समय उत्कर्ष ने एक्स-रे नहीं कराया और बिना बताए चला गया। इसके बाद पुलिस ने भी कोई ध्यान नहीं दी और न ही कोई डॉ. गुप्ता से क्वेरी कराई। यहां तक पुलिस ने एक्स-रे रिपोर्ट की भी जानकारी नहीं ली। फिर अचानक 10 माह बाद पुलिस ने फर्जी क्वेरी रिपोर्ट पर धारा 307 जोड़कर शक्ति सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। युवक की मां ने इस पूरे केस की जांच कर दोषी पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। पूरा मामला सिविल लाइन थाना क्षेत्र का है। इस पुरे मामले में सिविल लाइन  थाना TI परिवेश तिवारी ने कहा पुलिस ने प्रथम दृष्टया मेडिकल और क्वेरी रिपोर्ट देखकर धारा 307 जोड़ी है। इसमें जांच अधिकारी की कोई गलती नहीं है। क्योंकि, पुलिस को क्या पता कि रिपोर्ट फर्जी है। अब जब डॉक्टरों ने इसकी शिकायत की है, तब यह मामला सामने आया है। लिहाजा, डॉक्टरों की शिकायत पर सरकंडा पुलिस जांच कर रही है।

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