रायपुर: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार भ्रष्टाचार के उन्मूलन और सुशासन के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रही है। पूर्व प्रदेश सरकार के 3,200 करोड़ रुपए के शराब घोटाले की जांच में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई के अंतर्गत 22 आबकारी अधिकारियों को निलंबित किया गया है, जिसमें आबकारी विभाग के उपायुक्त, सहायक आयुक्त और जिला अधिकारी शामिल हैं।
घोटाले की विशेष जांच और व्यवस्था में सुधार
EOW और ACB की जांच से पता चला कि यह घोटाला एक संगठित सिंडिकेट के जरिए अंजाम दिया गया था, जिसमें आरोपित अधिकारियों ने 2019–2023 के बीच भ्रष्टाचार के ज़रिए करीब 88 करोड़ रुपये की संपत्ति जुटाई। निलंबित अधिकारियों में कलेक्टर स्तर और जिला स्तर के कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं, जिनके नामों की सूची जारी की गई है। यह निलंबन अब तक किसी भी राज्य द्वारा आबकारी विभाग में की गई सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है।
सरकार की नीतियाँ: पारदर्शिता और जवाबदेही
मुख्यमंत्री साय ने भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाते हुए कई सुधार लागू किए हैं:
जेएम पोर्टल पर खरीददारी अनिवार्य
ई-ऑफिस प्रणाली की शुरुआत
350 से अधिक सुधार: सिंगल विंडो सिस्टम 2.0, FL‑10 नीति हटाना, मदिरा बैच हॉलोग्राम
खनिज ट्रांज़िट पास ऑनलाइन, ई-नीलामी प्रणाली, और सुशासन एवं अभिसरण विभाग की स्थापना
अन्य बड़े घोटालों की पारदर्शी जांच:
सरकार ने न केवल शराब घोटाले, बल्कि अन्य बड़े घोटालों की जांच भी तेज़ी से चलवा रखी है: PSC‑2021 परीक्षा, भारतमाला योजना, CGMSC घोटाले जांचें CBI और EOW को सौंपा गया — इसमें कई अधिकारियों को निलंबित और गिरफ्तार किया गया। पिछले दो वर्षों में 200 से अधिक भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है।
मुख्यमंत्री का संदेश:
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने स्पष्ट कहा है कि यह कार्रवाई पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए भ्रष्टाचार की है, और इससे प्राप्त कड़ी सजा सुनिश्चित की जाएगी। उनका कहना है, “अब राज्य में भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं है। हमारा मकसद जनता को पारदर्शी, जवाबदेह और ईमानदार प्रशासन देना है।”