political war : आरक्षण के मुद्दे को लेकर छतीसगढ़ में लगातार तकरार जारी है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने एक बयान में कहा, हाईकोर्ट ने ही जब 56% आरक्षण को रोक दिया तो वहां 82% आरक्षण कैसे वैलिड होगा।
❓जब विधानसभा द्वारा नवीन आरक्षण विधेयक सर्वसम्मति (भाजपा सहित) से पारित किया गया तब क्या विधानसभा में 76 प्रतिशत आरक्षण विधेयक को मंजूरी देते समय रमन सिंह जी को यह जानकारी नहीं थी कि पूर्व में 56 प्रतिशत आरक्षण प्रावधान निरस्त किया गया था तब 76 प्रतिशत आरक्षण कैसे संभव होगा? 2/N
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) February 6, 2023
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इसपर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट भी साझा किये है। छत्तीसगढ़ राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमण सिंह ने रायपुर हवाई अड्डे पर राजभवन को नोटिस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, हाईकोर्ट के फैसले के आधार पर ही तो आरक्षण रुका हुआ है। हाईकोर्ट ने 56% आरक्षण को रोक दिया। जब 56% को रोक दिया तो 82% कैसे वैलिड हाेगा। ये तो सवाल उसी में था। उसी में मैसेज छिपा है। 56% को निरस्त करने वाला हाईकोर्ट है ना। जब उसने 56% को निरस्त कर दिया तो 82% वैलिड कैसे होगा। खैर इसका जवाब दे देंगे।जिसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रमन सिंह के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी।
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उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, 56.. 56.. 56.. 56.. क्या है 56? "जगत प्रवक्ता' डॉ. रमन सिंह जी! यहां बात मोदी जी के स्वघोषित सीने के नाप की नहीं बल्कि आरक्षण की हो रही है। पूर्व में आरक्षण 58% था, ना कि 56% और अभी 76% आरक्षण प्रस्तावित है ना कि 82%। मुख्यमंत्री ने लिखा, जब विधानसभा द्वारा नवीन आरक्षण विधेयक सर्वसम्मति से पारित किया गया तब क्या विधानसभा में 76% आरक्षण विधेयक को मंजूरी देते समय रमन सिंह जी को यह जानकारी नहीं थी कि पूर्व में 56% आरक्षण प्रावधान निरस्त किया गया था तब 76% आरक्षण कैसे संभव होगा। अगर यह संभव नहीं था तो विधानसभा में उनके द्वारा उक्त आधार पर विधेयक के विरोध में मत क्यों नहीं दिया गया।
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