बालोद। धान का कटोरा कहलाने वाले छत्तीसगढ़ में इन दिनों नई कृषि क्रांति आ रही है। प्रदेश के मैदानी इलाके के कृषि प्रधान जिलों में किसान बड़ी संख्या में धान की फसल उगाना छोड़कर मक्का, सरसों अब मक्का और सरसों की खेती में भी रुचि दिखा रहे हैं। इसी तर्ज पर प्रदेश की राजधानी रायपुर से लगते जिले बालोद में जो किसान पहले धान की खेती करते थे वे भी बड़ी संख्या में सरसों और मक्के की खेती करने लगे हैं। क्योंकि धान के मुकाबले इन फसलों में उन्हें ज्यादा मुनाफा हो रहा है। इसके चलते पिछले साल की तुलना में इस साल जिले में मक्के का रकबा 1 हजार 400 हेक्टेयर और सरसों की खेती का रकबा 400 हेक्टर बढ़ा है। किसानों ने आधा एकड़ से लेकर 3 एकड़ तक खेतों में सरसों और मक्के की फसलें लगाई हैं।
बालोद जिले के गुरुर ब्लॉक में सरसों की फसल की बोनी करने को लेकर किसान ज्यादा रुचि ले रहे हैं। वहीं डौंडी ब्लॉक में मक्के की खेती का रकबा ज्यादा बढ़ा है। इनकी रुचि को देखते हुए कृषि विभाग ने इन किसानों को उच्च तकनीक से उपजाई गई सरसों का बीज उपलब्ध कराया है। किसानों की माने तो सरसों की फसल लगाने के बाद इसकी बिक्री करने पर किसानों को अच्छा मूल्य मिल जाता है। किसानों को सरसों की फसल इसलिए भी लाभकारी लग रही है क्योंकि इसमें धान की अपेक्षा पानी काफी कम लगता है। धान के मुकाबले सरसों में पानी मात्र 20 फीसदी ही लगता है। साथ ही कीट प्रकोप की आशंका भी कम होती है, जिससे रासायनिक खाद का छिड़काव कम करना पड़ता है। वहीं किसान मक्के की फसल में डेढ़ गुना फायदा बता रहे हैं। मक्के के खेती में लागत कम आती है, इसमें मिंजाई नहीं लगता, कोड़ाई भी नहीं लगती, दवाई और खाद डाल देते हैं और टाइम पर पानी देते रहें, बस और कोई टेंशन नहीं रहता।
सब्सिडी का लाभ उठा रहे किसान : कलेक्टर
बालोद जिले के कलेक्टर जनमेजय महोबे बताते हैं कि जिले के जो किसान पहले धान उगाया करते थे, वे धान के अलावा दूसरी फसलों पर भी फोकस कर रहे हैं। इसी तरह किसानों के लिए चलाई गई राज्य सरकार की किसान न्याय योजना का भी लोग फायदा ले रहे हैं। कृषि विभाग विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लोगों को सब्सिडी भी उपलब्ध करा रही है। प्रदेश में गोबर की सरकारी खरीदी और उससे बड़ पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट बनाए जाने के बाद किसानों को वर्मी कम्पोष्ट भी आसानी से सस्ते दामों पर उपलब्ध है, जिसके चलते किसान वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग खेती में कर रहे हें। खास तौर पर रबी सीजन में किसान धान की बजाय दूसरी फसलों की ओर आकर्षित हो रहें हैं।