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रासायनिक खाद से जैविक खाद की ओर अग्रसर होता धमतरी

रासायनिक खाद से जैविक खाद की ओर अग्रसर होता धमतरी

धमतरी। प्रदेश सरकार की सर्वाधिक महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना के तहत नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी के विस्तार के साथ-साथ धमतरी जिला रोजगारोन्मुखी आयाम की ओर बढ़ रहा है। इसी क्रम में गोधन न्याय योजना जिले में न सिर्फ बेरोजगार महिलाओं को संगठित कर समूहों के जरिए रोजगार देकर आय के स्तर को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, बल्कि महिला समूह के सदस्यों की क्रय शक्ति में भी बढ़ोत्तरी हो रही है। प्रदेश सरकार की दोनों योजनाओं के क्रियान्वयन से जिले के किसान जैविक खाद्यान्न उत्पादित कर रायायनिक खाद के बेतरतीब उपयोग को नियंत्रित करने में योगदान दे रहे हैं। कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी के वाहक खतरनाक रसायनों के प्रयोग की जगह विषरहित जैविक खाद्यान्न के उत्पादन में वृद्धि से धमतरी जिले की सकारात्मक छवि व पहचान बन रही है।

कभी रासायनिक दवाओं व कीटनाशकों की अधिकतम खपत के तौर पर जाने जाना वाला धमतरी जिला अब जैविक खेती के रकबे में वृद्धि एवं विस्तार की अभिनव पहल की ओर अग्रसर हो रहा है। रासायनिक उर्वरक की खपत के मामले में धमतरी जिला पंजाब राज्य की औसत खपत से भी ज्यादा है, लेकिन छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना गोधन न्याय योजना के लागू होने से केंचुआ खाद के उत्पादन के मामले में अब जिले की पहचान पृथक् तौर पर होने लगी है। उप संचालक कृषि ने बताया कि जिले में कुल 14 हजार 418 पशुपालकों के पास गौ एवं भैंसवंशीय दो लाख 96 हजार 508 पशुधन हैं। गौठान योजना एवं गोधन न्याय योजना के लागू होने से जिले की 370 पंचायतों में से 324 गौठान ग्रामों में से 176 गौठान ग्रामों के 5599 पशुपालकों को सतत् रूप से गोबर दो रूपए प्रति किलोग्राम की दर से खरीद कर केंचुआ खाद निर्माण के लिए महिला समूहों को दिया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि 20 जुलाई 2020 से 9 जनवरी 2021 तक 5599 पशुपालकों से एक लाख 88 हजार 88 क्विंटल 14 किलोग्राम गोबर की खरीदी की जा चुकी है। खरीदे गए गोबर से 2100 पक्का वर्मी टांका एवं 433 लो-कास्ट तकनीक से निर्मिट टांकों में नियमित रूप से भरकर विष्ट डिकम्पोजर से उपचार के बाद केंचुआ डालकर कुल 1053.75 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन किया जा चुका है। इनमें से 505.51 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का क्रय कर कृषि, उद्यानिकी एवं अन्य विभाग गेहूं, रागी, चना एवं अन्य कृषक फसल प्रदर्शनों में उपयोग किया जा रहा है। साथ ही सहकारी समितियों के माध्यम से नगद परमिट पर 391 किसानों द्वारा चार लाख 21 हजार 624 रूपए का उठाव किया जा चुका है।


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