Bandhavgarh Tiger Reserve : 165 बाघ और 100 से अधिक तितलियों की दुर्लभ प्रजातियां करती हैं आकर्षित

Bandhavgarh Tiger Reserve : 165 बाघ और 100 से अधिक तितलियों की दुर्लभ प्रजातियां करती हैं आकर्षित

भोपाल। उमरिया जिले का विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व वैश्विक धरोहर है। यहां की जैव-विविधता, दुर्लभ वन्य-जीवों की उपलब्धता, कल्चुरी कालीन किला और हिन्दू देवताओं के प्राचीन मंदिर पूरी दुनिया में दुर्लभ हैं। टाइगर रिजर्व की स्थापना के पूर्व यहां का जंगल एवं पहाड़ियों के बीच निर्मित किला एवं अन्य संरचनाएं रीवा रियासत के महाराजा की निजी सम्पत्ति हुआ करती थी। किले में राजकीय कार्यों के अलावा राज परिवार का निवास भी होता था। कालांतर में देश की आजादी के बाद तत्कालीन रीवा महाराजा मार्तण्ड सिंह ने 1967 में किला सहित पूरा जंगल मध्यप्रदेश शासन को नेशनल पार्क स्थापित करने एवं वन्य-जीव संरक्षण के लिए दान में दिया था। इसके बाद मध्यप्रदेश शासन द्वारा बांधवगढ़ नेशनल पार्क की स्थापना की गई। वर्ष 1981 के बाद यहां पर केन्द्र की टाइगर परियोजना शुरू की गई। 

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में मौजूद जल-स्रोतों से यहां की जैव-विविधता देश-दुनिया के जंगलों की अपेक्षा उत्कृष्ट रही है। यहां जल-स्रोतों की मौजूदगी हमेशा से रही है, जिससे हरियाली बनी रहती है। पर्याप्त जल-स्रोत, चारागाह, सघन वन, शाकाहारी, मांसाहारी वन्य-जीवों के लिए आहार और रहवास की अनुकूलता होने से यहां दुर्लभ से दुर्लभ वन्य-प्राणी एवं पक्षी अपना आश्रय-स्थल बनाए हुए हैं।

बाघों की सघन मौजूदगी पूरी दुनिया में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को एक अलग पहचान दिलाती है। टाइगर रिजर्व 1526 वर्ग किलोमीटर के कोर एवं बफर क्षेत्र में फैला हुआ है। इस जंगल में वर्ष 2022 की गणना अनुसार 165 से भी ज्यादा बाघों की संख्या पाई गई थी। इसके अलावा कान्हा टाइगर रिजर्व से 49 बायसन लाकर वर्ष 2012 में बसाए गए थे, जो अनुकूल परिस्थितियों में बढ़कर वर्तमान में लगभग 200 की संख्या में स्वच्छंद विचरण कर रहे हैं। टाइगर रिजर्व में दुनिया में विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुके विशेष प्रजाति के बारहसिंघा भी कान्हा टाइगर रिजर्व से लाकर बांधवगढ़ में बसाए गए हैं।

वर्ष 2018 से जंगली हाथियों ने भी अपना रहवास यहां बनाया है। तकरीबन 70 से 80 जंगली हाथी टाइगर रिजर्व के अलग-अलग क्षेत्रों में विभिन्न झुण्डों में विचरण कर रहे हैं। टाइगर रिजर्व में बाघ, बायसन, जंगली हाथी के अलावा नीलगाय, भालू, तेंदुआ, चीतल और सांभर यहां के मुख्य वन्य-प्राणी हैं, जो पर्यटन के साथ जैव-विविधता का केन्द्र हैं। टाइगर रिजर्व बांस एवं साल के सघन वृक्षों से घिरा हुआ है। यहां वन्य-जीव दर्शन के अलावा हिन्दू मान्यताओं के कई प्राचीन धार्मिक मंदिर भी हैं। 

इसमें बांधवगढ़ किले के समीप स्थित भगवान राम-जानकी मंदिर आस्था का प्रमुख केन्द्र है। यहाँ पर प्रतिवर्ष जन्माष्मी के पर्व पर मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें देशभर से हिन्दू धर्मावलम्बी पूजा-दर्शन के लिए पहुंचते हैं। बांधवगढ़ की पहाड़ियों पर स्थित कबीर गुफा कबीरपंथियों की आस्था का केन्द्र है। प्रतिवर्ष अगहन पूर्णिमा के दिन यहां पर कबीरपंथियों का जमावड़ा होता है संत शिरोमणि सेन की तपोस्थली भी बांधवगढ़ में रही है। मध्यप्रदेश शासन द्वारा इनका मंदिर एवं समाधि-स्थल बनाने के लिए टाइगर रिजर्व की सीमा से लगे हुए क्षेत्र में भूमि आरक्षित की गई है। सर्वे में तितलियों की 100 से अधिक प्रजातियां पाई गई हैं। 


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