
MP Corona : मध्यप्रदेश में कोरोना का एक्सएफजी वैरिएंट अभी एक्टिव है। एम्स भोपाल की जीनोमिक रिपोर्ट के अनुसार मप्र में जून के तीसरे सप्ताह में मिले पॉजिटिव मरीज इसी वैरिएंट के हैं। जबकि मई माह में एलएफ-7 वैरिएंट एक्टिव था। एम्स द्वारा सोमवार जारी जीनोमिक रिपोर्ट में बताया कि इस स्टडी में पूरे प्रदेश में पॉजिटिव आए मरीजों का डेटा शामिल किया गया था। इनके सैंपल की करीब 15 दिन तक टेस्टिंग की गई। जिसके बाद सामने आई रिपोर्ट में पाया गया कि एक्सएफजी वेरिएंट अब प्रमुख रूप से फैलने वाला वेरिएंट बन चुका है।
44 मरीज मिले
एम्स ने रिपोर्ट में बताया कि प्रदेश भर से मिले कुल 44 सैंपलों की जीनोम अनुक्रमण (सीक्वेंसिंग) की गई है। इनमें भोपाल के 14, ग्वालियर के 22, टीकमगढ़ के 2 और इंदौर, खरगोन, छिंदवाड़ा, ललितपुर, सीधी और गया से एक-एक सैंपल शामिल हैं।
एक्सएफजी वेरिएंट की पहचान
इस अध्ययन में पाया गया है कि एक्सएफजी वैरिएंट अब प्रमुख रूप से फैलने वाला प्रकार बन चुका है। कुल 44 नमूनों में से 28 नमूनों (63.6 प्रतिशत) में एक्सएफजी वैरिएंट की पहचान की गई। यह नया वैरिएंट पहले से फैल रहे एलएफ-7 वैरिएंट से ही बना है। एक्सएफजी वेरिएंट मई के अंतिम सप्ताह में सामने आया, फिर यह जून के पहले और दूसरे सप्ताह में तेजी से फैला और जून के तीसरे सप्ताह तक यह एकमात्र सक्रिय प्रकार बन गया है। इसके अलावा इस वेरिएंट से विकसित एक उप-प्रकार एक्सएफजी-3 की भी पहचान की गई है, जो एक्सएफजी पाजिटिव 28 नमूनों में से पांच में पाया गया।
पुराने वैरिएंट असर कम
एलएफ-7 वैरिएंट जो मई के अंतिम सप्ताह में 50 प्रतिशत नमूनों में मौजूद था, जून के दौरान धीरे-धीरे कमजोर होता गया और जून के तीसरे सप्ताह तक पूरी तरह समाप्त हो गया।
वैक्सीनेटेड भी हो रहे संक्रमित
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि एक्सएफजी और एलएफ-7 वैरिएंट्स में कुछ ऐसे म्यूटेशन मौजूद हैं, जो कोविड-19 का टीका लगवा चुके व्यक्तियों को भी संक्रमित कर सकते हैं। हालांकि इसके लक्षण कमजोर हैं। कई मरीजों में कोई भी लक्षण नजर नहीं आए। इसी कारण से विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इन्हें चिंता के वैरिएंट श्रेणी में नहीं रखा है। इन्हें निगरानी के वेरिएंट के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
हर वैरिएंट पर एम्स की नजर
भोपाल एम्स डायरेक्टर अजय सिंह का कहना है कि हमारी क्षेत्रीय वायरोलॉजी लैब वैज्ञानिक समर्पण के साथ यह सुनिश्चित कर रही है कि कोई भी नया वायरस वैरिएंट हमारी निगरानी से न छूटे। एक्सएफजी जैसे वैरिएंट्स और उनके उप-प्रकारों की समय पर पहचान से हम वायरस के व्यवहार को समझ सकते हैं और समय रहते सार्वजनिक हेल्थ के लिए आवश्यक एहतियाती कदम उठा सकते हैं। निरंतर जीनोमिक सीक्वेंसिंग केवल एक शैक्षणिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि महामारी की तैयारी और प्रतिक्रिया का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।