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श्री सीमेंट रेलवे प्रोजेक्ट: भूमि अधिग्रहण को लेकर जबरदस्त विरोध, ग्रामीण बोले- 'यह जनहित नहीं, निजी कंपनी का हित है'

श्री सीमेंट रेलवे प्रोजेक्ट: भूमि अधिग्रहण को लेकर जबरदस्त विरोध, ग्रामीण बोले- 'यह जनहित नहीं, निजी कंपनी का हित है'

विश्वनाथ द्विवेदी // सुहेला : छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिला स्थित सुहेला के ग्राम खपराडीह से धोधा तक श्री सीमेंट संयंत्र के लिए प्रस्तावित रेलवे लाइन के भूमि अधिग्रहण को लेकर क्षेत्र में तेज विरोध की लहर फैल गई है। स्थानीय ग्रामीणों और किसानों ने इसे अवैधानिक, अलोकतांत्रिक और जनविरोधी करार देते हुए प्रशासन को सीधी चेतावनी दी है। दरअसल धोधा से खपराडीह तक मटेरियल यार्ड व रेलवे लाइन निर्माण। 30 दिन के भीतर आपत्तियाँ देने की बात अधिसूचना में कही गई है, लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें समय पर कोई सूचना नहीं दी गई है। और सीधा 16 जून 2025 को भारत सरकार ने रेल अधिनियम 1989 की धारा 20A(1) के तहत अधिसूचना क्रमांक 2732(31) जारी की। 
 
ग्रामीणों की प्रमुख आपत्तियां:

इस पर ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें बिना सूचना अधिग्रहण प्रक्रिया अधिसूचना की जानकारी समय पर नहीं मिली, न ही कोई ग्रामसभा हुई। मकानों पर खतरा ग्रामवासी मनीष वर्मा का मकान प्रस्तावित ट्रैक की सीधी जद में। विद्यालय से मात्र 50 से 100 मीटर दूरी पर रेल लाइनविद्यार्थियों की सुरक्षा और पढ़ाई दोनों पर संकट।600+ एकड़ भूमि की सिंचाई प्रभावित गांव का एकमात्र सिंचाई बांध प्रभावित होगा।

अधिग्रहण में मिला बेहद कम मुआवजा:

सामाजिक और भौगोलिक विभाजनखेतों के बीच रेल लाइन ग्रामीण संपर्क व सामाजिक ताना-बाना टूटेगा। अनुचित मुआवज़ा श्री सीमेंट ने पहले 80 लाख रु.एकड़ दर पर भूमि खरीदी, जबकि किसानों को अधिग्रहण में बेहद कम मुआवज़ा।खेल मैदान व चारागाह भी अधिग्रहण में शामिल ग्राम विकास से जुड़ी मूलभूत संरचनाएं प्रभावित। आंशिक खसरा अधिग्रहण से खेत अनुपयोगी होंगे, किसान मांग कर रहे हैं कि यदि अधिग्रहण हो तो पूरा खसरा नंबर अधिग्रहित किया जाए। न्यायिक पक्ष श्री सीमेंट की रेल साइडिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पहले से मामला लंबित करें।

ग्रामीणों की मांग: 

कोर्ट के अंतिम फैसले तक अधिग्रहण प्रक्रिया रोकी जाए।सरपंच गजेंद्र वर्मा का बयान:गांव के कई किसानों और पंचायत प्रतिनिधियों ने अनुविभागीय अधिकारी को आपत्ति-पत्र सौंपा है। यदि हमारी बात नहीं सुनी गई, तो हम आंदोलन करेंगे और शासन का ध्यान खींचेंगे।”प्रशासन की प्रतिक्रिया:राजस्व अनुभागीय अधिकारी अंशुल वर्मा ने बताया कि, “प्रभावित किसानों की आपत्तियाँ दर्ज की जा रही हैं और नियमानुसार प्रक्रिया चलाई जा रही है।”ग्रामीणों चेतावनी है कि यदि आपत्तियों पर विचार नहीं हुआ, तोधरना, प्रदर्शन और न्यायालय की शरण लेने से पीछे नहीं हटेंगे।


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