
नई दिल्ली: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हाल ही में जारी एक वृत्तचित्र के माध्यम से देश की मुद्रा प्रणाली, सोने के भंडारण और करेंसी उत्पादन से जुड़ी अहम जानकारियां साझा की हैं। इस डॉक्यूमेंट्री में खुलासा किया गया है कि देश का स्वर्ण भंडार अब करीब 870 टन तक पहुंच चुका है, जो 1991 के आर्थिक संकट के समय की तुलना में कई गुना अधिक है। RBI 12.5 किलोग्राम वजनी सोने की ईंटों के रूप में इस भंडार को अलग-अलग सुरक्षित स्थानों पर रखता है।
सोना: सिर्फ धातु नहीं, राष्ट्र की ताकत
RBI अधिकारियों के अनुसार, सोना केवल एक धातु नहीं, बल्कि देश की आर्थिक मजबूती का प्रतीक है। चाहे दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं बदलती रहें, देश बनें या बिगड़ें, लेकिन सोना अपनी मूल्यवान स्थिति बनाए रखता है। 20 जून 2025 को समाप्त सप्ताह में भारत के स्वर्ण भंडार का मूल्य घटकर 85.74 अरब डॉलर रह गया, जबकि देश का कुल विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 697.93 अरब डॉलर हो गया।
नोट छपाई में भारत ने आत्मनिर्भरता हासिल की
वृत्तचित्र में बताया गया कि भारत ने करेंसी नोटों के निर्माण में अब पूरी तरह आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है। पहले जहां नोट छपाई में इस्तेमाल होने वाला कागज और स्याही विदेशों से आयात किए जाते थे, अब ये सभी सामग्री देश में ही बनाई जा रही हैं। इससे न केवल नकली नोटों की आशंका घटी है, बल्कि भारत की मुद्रा प्रणाली और भी सुरक्षित हुई है।
नोट छपाई के लिए देश में चार बड़े कागज कारखाने:
RBI ने नोट छपाई के लिए देश में चार प्रमुख कागज विनिर्माण इकाइयाँ स्थापित की हैं:
देवास (मध्य प्रदेश)
सालबोनी (पश्चिम बंगाल)
नासिक (महाराष्ट्र)
मैसूर (कर्नाटक)
इन कारखानों में अब नोटों के लिए आवश्यक कागज पूरी तरह भारत में ही तैयार किया जा रहा है, जिससे आयात पर निर्भरता समाप्त हो गई है।
करेंसी उत्पादन में भारत बना वैश्विक अगुवा:
RBI की डॉक्यूमेंट्री में यह भी बताया गया कि करेंसी नोटों के उत्पादन के मामले में भारत दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल है। जहाँ अमेरिका में 5,000 करोड़ और यूरोप में 2,900 करोड़ करेंसी इकाइयां प्रचलन में हैं, वहीं भारत में यह आंकड़ा 13,000 करोड़ इकाइयों तक पहुंच चुका है। मई 2025 की स्थिति के अनुसार, भारत में चलन में कुल करेंसी का मूल्य 38.1 लाख करोड़ रुपये है।
नकली नोटों की चुनौती बनी आत्मनिर्भरता की प्रेरणा:
पूर्व डिप्टी गवर्नर ऊषा थोराट ने वृत्तचित्र में बताया कि 2010 के आसपास नकली नोटों की बढ़ती संख्या ने RBI को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में सोचने पर मजबूर किया। उस समय नकली नोट इतने अच्छे स्तर के होते थे कि वे असली नोटों से मिलते-जुलते थे। तब निर्णय लिया गया कि करेंसी नोट के लिए उपयोग होने वाला कागज देश में ही बनाया जाएगा।
यह वृत्तचित्र पहली बार है जब भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यों, जिम्मेदारियों और नीतियों को आम जनता के लिए इतनी विस्तार से दिखाया गया है।