रायपुर: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने छत्तीसगढ़ में लागू प्रमुख आवास और श्रमिक कल्याण योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर गंभीर आपत्तियां दर्ज की हैं। कैग की ताज़ा रिपोर्ट में बताया गया है कि योजनाओं में अपात्र लाभार्थियों को लाभ, कमजोर निगरानी, लंबे समय तक फंसी राशि और टाली जा सकने वाली वित्तीय हानि जैसी बड़ी खामियां सामने आई हैं।
यह रिपोर्ट मार्च 2023 तक की अवधि के लिए तैयार की गई है और इसे 17 दिसंबर 2025 को संविधान के अनुच्छेद 151 के तहत छत्तीसगढ़ विधानसभा में प्रस्तुत किया गया।
रिपोर्ट संख्या 06 (वर्ष 2025) का दायरा
कैग रिपोर्ट संख्या 06, वर्ष 2025 में सामान्य, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों से जुड़े विभागों के खर्चों का समग्र मूल्यांकन किया गया है। इसमें—
प्रधानमंत्री आवास योजना–शहरी का प्रदर्शन ऑडिट
श्रम विभाग की कल्याण योजनाओं का अनुपालन ऑडिट
छत्तीसगढ़ अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी के सोलर पंप प्रोजेक्ट का ऑडिट
लोक निर्माण विभाग से जुड़े कार्यों का ऑडिट शामिल है।
प्रधानमंत्री आवास योजना–शहरी में अपात्रों को लाभ
कैग की जांच में बिलासपुर, रायपुर और कोरबा नगर निगम तथा प्रेमनगर नगर पंचायत में ₹3 लाख से अधिक वार्षिक आय वाले 71 अपात्र लाभार्थियों को मकान दिए जाने का मामला सामने आया।
इसके अलावा 250 लाभार्थियों को बिना भूमि स्वामित्व सत्यापन के ₹4.05 करोड़ की सहायता राशि जारी कर दी गई।
दोहरी योजनाओं और सब्सिडी का लाभ
ऑडिट में यह भी उजागर हुआ कि पीएम आवास योजना–शहरी और ग्रामीण के आईटी सिस्टम आपस में जुड़े न होने के कारण 99 लाभार्थियों ने दोनों योजनाओं का लाभ लिया। वहीं, 29 मामलों में दोहरी सब्सिडी मिलने की पुष्टि कैग ने की है।
देरी से फंसी करोड़ों की राशि
साझेदारी में किफायती आवास परियोजनाओं में देरी के चलते ₹230.05 करोड़ की योजनागत राशि अवरुद्ध रही। झुग्गीवासियों से वसूली योग्य राशि में से नगरीय निकाय मार्च 2025 तक ₹17.23 करोड़ की वसूली नहीं कर पाए।
महिला सशक्तिकरण लक्ष्य अधूरा
योजना में महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता दिए जाने के बावजूद, 2016–17 से 2023–24 के बीच केवल 50 प्रतिशत मकान ही महिलाओं के नाम पर स्वीकृत किए गए। कैग ने गलत जियो-टैगिंग, तस्वीरों की अदला-बदली और सामाजिक ऑडिट में देरी जैसी कमियों पर भी सवाल उठाए हैं।
श्रमिक कल्याण योजनाओं में कम खर्च
श्रम विभाग के ऑडिट में सामने आया कि असंगठित क्षेत्र के लिए आवंटित ₹329.41 करोड़ में से केवल 64 प्रतिशत राशि खर्च की गई।
वहीं संगठित क्षेत्र के लिए उपलब्ध ₹44.86 करोड़ में से मात्र ₹21.27 करोड़ का ही उपयोग हुआ। ई-श्रम पोर्टल पर दर्ज श्रमिकों की तुलना में राज्य पोर्टल पर पंजीकरण भी बेहद कम पाया गया।
सोलर पंप योजना में अनावश्यक खर्च
सोलर पंप योजना के ऑडिट में यह तथ्य सामने आया कि दिशा-निर्देशों के विपरीत महंगे डीसी सोलर पंप लगाए गए, जिससे ₹9.70 करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ा। 90 हजार से अधिक पंप बिना यील्ड टेस्ट के लगाए गए।
पीडब्ल्यूडी में भी नुकसान
लोक निर्माण विभाग के ऑडिट में कठोर चट्टान को साधारण दिखाकर और ठेकेदारों को अतिरिक्त भुगतान किए जाने से ₹3.21 करोड़ से ज्यादा की वित्तीय हानि दर्ज की गई।
कैग ने दी सख्त सलाह
कैग ने रिपोर्ट में स्पष्ट कहा है कि लाभार्थी चयन की पारदर्शिता, मजबूत निगरानी व्यवस्था, समय पर योजनाओं का क्रियान्वयन और कड़े वित्तीय अनुशासन के बिना सरकारी योजनाओं के लक्ष्य पूरे नहीं हो सकते।