
रायपुर: छत्तीसगढ़ में निजी मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई (अप्रवासी भारतीय) कोटे के तहत प्रवेश प्रक्रिया में फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए प्रदेश कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने राज्य सरकार और चिकित्सा शिक्षा विभाग पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट द्वारा निर्धारित गाइडलाइनों की खुलकर अवहेलना हो रही है और शिक्षा माफिया सरकार के संरक्षण में सक्रिय हैं।
डॉ. गुप्ता ने आरोप लगाया कि राज्य का पूरा स्वास्थ्य विभाग मोटे कमीशन के लालच में ठेके पर चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश को लेकर जो प्रक्रिया और मानदंड उच्च न्यायालय बिलासपुर और सर्वोच्च न्यायालय ने तय किए हैं, उनका पालन नहीं किया जा रहा।
उन्होंने बताया कि चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा 13 अक्टूबर 2024 को जारी पत्र क्रमांक 17-37/2024/55 में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि एनआरआई कोटे में प्रवेश केवल प्रमाणित दस्तावेजों और तयशुदा मानकों के आधार पर ही दिए जाएं। इसके बावजूद कुछ निजी कॉलेज इन सीटों को गलत तरीके से बेचने की कोशिश कर रहे हैं।
नियमों में बदलाव की मांग:
डॉ. गुप्ता ने मांग की है कि मेडिकल प्रवेश की काउंसलिंग शुरू होने से पहले सरकार स्पष्ट रूप से नियमों में बदलाव करे और सभी कॉलेजों को बाध्य किया जाए कि वे सुप्रीम कोर्ट और मेडिकल काउंसिल की गाइडलाइन का पालन करें। उन्होंने बताया कि एनआरआई कोटे की सीटें केवल उन्हीं छात्रों को दी जा सकती हैं जो नीट उत्तीर्ण हों और जिनकी पात्रता प्रमाणित दस्तावेजों के साथ हो। यदि ऐसे छात्र उपलब्ध नहीं हैं तो ओपन मेरिट के आधार पर सीटें भरनी चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार की मंशा योग्य छात्रों को लाभ पहुंचाने की नहीं, बल्कि मेडिकल सीटों को बेचना है। इसके लिए शिक्षा माफिया और कुछ निजी मेडिकल कॉलेज आपस में मिलकर एनआरआई कोटे का दुरुपयोग कर रहे हैं। डॉ. गुप्ता ने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही इस फर्जीवाड़े पर रोक नहीं लगाई गई तो कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन करेगा।