MP Alok Sharma : एनसीईआरटी द्वारा देश के विभाजन के संदर्भ में कांग्रेस की भूमिका को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने के बाद, अब मध्यप्रदेश में “वास्तविक इतिहास” पढ़ाने की मांग ने रफ्तार पकड़ ली है। इस विषय पर प्रतिक्रिया देते हुए भोपाल के सांसद आलोक शर्मा ने कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां की हैं।
सांसद शर्मा का कहना है कि भोपाल की ऐतिहासिक पहचान केवल किसी एक धर्म या अल्पसंख्यक वर्ग तक सीमित नहीं रही है। उन्होंने कहा, "भोपाल की संस्कृति और विरासत हजारों वर्षों पुरानी है। यह सम्राट अशोक, चंद्रगुप्त मौर्य, राजा भोज, परमार वंश और रानी कमलापति की धरती रही है। यहाँ का अधिकांश इतिहास हिन्दू शासकों से जुड़ा रहा है। बाद में नवाबों और बेगमों का दौर आया, जिन्होंने अनेक संस्थानों और स्थानों का नाम मुस्लिम शासकों के नाम पर रखा।"
शर्मा ने देश विभाजन के विषय में कहा कि यह केवल मुस्लिम लीग और ब्रिटिश शासन की साजिश https://colindancias.uvt.ro/ नहीं थी, बल्कि कांग्रेस की कमजोर नीतियों ने भी इसमें भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब भावी पीढ़ी को इतिहास के उन पहलुओं से परिचित कराया जाए, जो अब तक नजरअंदाज होते रहे हैं। "पाठ्यक्रम में यह भी बताया जाना चाहिए कि किस प्रकार पंडित नेहरू की गलतियों और सरदार पटेल को नजरअंदाज किए जाने से देश को नुकसान हुआ," उन्होंने जोड़ा।
भोपाल के अंतिम नवाब हमीदुल्लाह खान पर निशाना साधते हुए सांसद ने उन्हें "देश की आजादी में बाधा डालने वाला" बताया और आरोप लगाया कि वह पाकिस्तान के समर्थन में थे। उन्होंने कहा कि ऐसे ऐतिहासिक पात्रों के नाम पर रखे गए स्थानों और संस्थानों के नाम बदलने की आवश्यकता है।
शर्मा ने स्पष्ट किया कि आने वाले समय में छात्रों को इतिहास के वे अध्याय पढ़ाए जाएंगे जो अब तक दरकिनार किए गए थे, ताकि एक संतुलित और तथ्यों पर आधारित दृष्टिकोण विकसित हो सके।