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Bherunda News : अजब एमपी की गजब कहानी, भेरूंदा का मंसाराम तो जिंदा है...

Bherunda News : अजब एमपी की गजब कहानी, भेरूंदा का मंसाराम तो जिंदा है...

मुकेश प्रजापति, भेरूंदा : मध्यप्रदेश के भेरूंदा तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत हमीदगंज के भुराट गांव से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक जीवित आदिवासी व्यक्ति को पंचायत रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया गया। पीड़ित मंसाराम बारेला बीते करीब 11 वर्षों से खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है।

पति-पत्नि को किया गांव से बाहर

मामला पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की विधानसभा क्षेत्र का बताया जा रहा है। आरोप है कि ग्राम पंचायत ने 28 सितंबर 2014 को मंसाराम को कागज़ों में मृत दिखा दिया, जिसके बाद उसकी 7 एकड़ जमीन पर गांव के ही लोगों ने कब्जा कर उसे बेच दिया। इतना ही नहीं, मंसाराम और उसकी पत्नी राइजा बाई को गांव से प्रताड़ित कर बाहर भी कर दिया गया।

पैसा हड़पने के लिए किया मृत घोषित!

मंसाराम बारेला का कहना है कि उसने गांव में मंदिर निर्माण के लिए चंदा इकट्ठा किया था। ग्राम पंचायत के पत्र के आधार पर उसने क्षेत्र से करीब डेढ़ लाख रुपए जुटाए, जो उसके खाते में जमा थे। इसके बाद सरकार से मंदिर निर्माण के लिए 17 लाख रुपए की स्वीकृति मिली। पहली किश्त में 8 लाख और दूसरी में 9 लाख रुपए आए। आरोप है कि इसी राशि को हड़पने की नीयत से उसे मृत घोषित कर दिया गया और पूरी रकम का बंदरबांट कर लिया गया।

पीड़ित का दावा है कि आज भी मंदिर पन्नी की छत के नीचे अधूरा पड़ा है, जबकि राशि निकाल ली गई। मंसाराम की पत्नी राइजा बाई बताती हैं कि उन्हें विधवा घोषित कर दिया गया और गांव में रहने के बदले धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया गया, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया।

मंसाराम की मांग

मंसाराम ने मुख्यमंत्री, कलेक्टर, एसडीएम और थाने तक कई बार शिकायतें कीं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आरोप है कि स्थानीय नेताओं ने उसे मानसिक रूप से अस्थिर बताकर मामले को दबाने की कोशिश की। मीडिया के संज्ञान में आने के बाद मामला उजागर हुआ है। मंसाराम अब मांग कर रहा है कि उसकी कागजी मौत और मंदिर राशि में हुए कथित भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच हो तथा दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।


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